कुंडलिनी सॉकेट : प्लग लगाइए ऊर्जा पाइए
ऊर्जा की जरूरत हर किसी को है। हमें घर में जब किसी उपकरण को चलाना होता है तो हम उसके प्लग को बस बिजली के सॉकेट में लगाते हैं और उसे चलाने के लिए जरूरी ऊर्जा हमें मिल जाती है। कुछ इतनी ही आसानी से आप अपने लिए भी ऊर्जा हासिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि कहां लगाना होगा प्लग हमें कि हमें मिल सके मनचाही ऊर्जा
ऊर्जा की जरूरत हर किसी को है। हमें घर में जब किसी उपकरण को चलाना होता है तो हम उसके प्लग को बस बिजली के सॉकेट में लगाते हैं और उसे चलाने के लिए जरूरी ऊर्जा हमें मिल जाती है। कुछ इतनी ही आसानी से आप अपने लिए भी ऊर्जा हासिल कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि कहां लगाना होगा प्लग हमें कि हमें मिल सके मनचाही ऊर्जा –
सद्गुरु :
कुंडलिनी पावर सॉकेट की तरह है। यह तीन पिन वाला प्लग पॉइंट नहीं है, यह पांच पिन वाला प्लग पॉइंट है। अगर आपने प्लग सही से लगा दिया तो दिन में चौबीसों घंटे बिजली का मिलना कोई मुश्किल काम नहीं है।कुंडलिनी शब्द से मतलब ऊर्जा के उस पहलू से है, जो अब तक अपनी पूरी क्षमता को साकार नहीं कर पाया है। आपके भीतर ऊर्जा का एक विशाल भंडार है, जिसे अभी महसूस कर पाना बाकी है, जिसकी क्षमता अभी प्रकट नहीं है।
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इससे जुड़ी कहानियां तो बहुत सारी हैं, लेकिन मैं आपको उस उदाहरण से समझाता हूं जो आपके जीवन से जुड़ा है, जो आपके अनुभवों में है। आपके घर की दीवार पर बिजली का सॉकेट यानी प्लग पॉइंट लगा होगा। इस प्लग पॉइंट से बिजली पैदा नहीं होती। एक बड़ा सा पावर स्टेशन कहीं और लगा है जो बिजली पैदा कर रहा है, लेकिन वह पावर स्टेशन बिजली के उपकरणों तक सीधे बिजली नहीं पहुंचा सकता। बिजली आपको प्लग पॉइंट से ही मिलती है। हालांकि बहुत सारे लोगों ने कभी पावर स्टेशन के बारे में सोचा भी नहीं होगा और न ही उन्हें उसका कोई आइडिया होगा। उन्हें बस इतना पता है कि जैसे ही वे उस प्लग पॉइंट में किसी उपकरण को लगाते हैं तो वह चलने लगता है।
कुंडलिनी पावर सॉकेट की तरह ही है। फर्क इतना है कि यह तीन पिन वाला प्लग पॉइंट नहीं है, यह पांच पिन वाला प्लग पॉइंट है। आपने सात चक्रों के बारे में सुना होगा। मूलाधार चक्र प्लग पॉइंट की तरह है, इसीलिए इसे मूलाधार कहा जाता है। मूलाधार का अर्थ है मूल-आधार। बाकी बचे छह चक्रों में से पांच प्लग की तरह हैं, जिन्हें मूलाधार से जुडऩे पर बिजली यानी ऊर्जा मिलती है। सातवां चक्र क्या है? यह बिजली के बल्ब के समान है। जैसे ही आप इसका प्लग लगाते हैं, आपकी हर चीज दमकने लगती है। अगर आपने प्लग ठीक से लगा दिया तो पूरे दिन ऊर्जा का मिलना कोई मुश्किल काम नहीं है। इस डर से कि कहीं बैटरी खत्म न हो जाए, आपको पावर बंद करने की जरूरत भी नहीं होगी। आप चाहें तो इसे बिना सोचे-समझे, लापरवाही से, लगातार इस्तेमाल कर सकते हैं, क्योंकि आप ऊर्जा के मूल स्रोत से जुड़ चुके हैं।
अभी भी आपके भीतर ऊर्जा है। आप यहां लिखी बातें पढ़ रहे हैं, इसका मतलब है कि जीवन ऊर्जा काम कर रही है, लेकिन बेहद छोटे स्तर पर। इसका बहुत छोटा सा हिस्सा ही काम कर रहा है। अगर पूरी की पूरी ऊर्जा आपके लिए उपलब्ध हो जाए, अगर इसका प्लग सही तरीके से लग जाए, तो आप इससे जितनी चाहे ऊर्जा ले सकते हैं, उसकी कोई सीमा नहीं रहेगी। घर पर भी एक बार जब आप प्लग लगा देते हैं तो आपको लगातार लाइट मिलती रहती है, आप चाहें तो एअर कंडीशनर चला सकते हैं, चाहें तो हीटर जला सकते हैं, टीवी चला चकते हैं या जो भी चीज चाहें, चला सकते हैं। बस एक पावर पॉइंट होने से आप इतने सारे काम कर सकते हैं।
अब किसी उपकरण का प्लग लगाने की बात करते हैं। अगर आपके हाथ कांप रहे हों, तो आप पूरी दीवार को खरोंच देंगे, लेकिन प्लग नहीं लगा पाएंगे। इसी तरह से पांच पॉइंट के इस प्लग को प्लग पॉइंट में लगाना बहुत सारे लोगों के लिए कठिन होगा क्योंकि उनके शरीर में, उनके मन में, उनकी भावनाओं में या ऊर्जा में कोई स्थिरता नहीं है। योग का मकसद इसी आवश्यक स्थिरता को पैदा करना है जिससे कि आपका प्लग वहां जुड़ सके। एक बार अगर आपका जुड़ाव हो गया तो आप असीमित ऊर्जा के संपर्क में आ जाएंगे। आपको पावर स्टेशन जाकर उसके बारे में जानने-समझने की जरूरत नहीं है। आप तो बस उसमें प्लग लगाइए, सब कुछ अपने आप ठीक हो जाएगा।
योग वही विज्ञान है जो हमें सिखाता है कि इस प्लग को ठीक प्रकार से कैसे लगाना है, जिससे कि शक्ति का स्रोत बिना किसी रुकावट के अपना काम करता रहे। अगर इस शक्ति स्रोत के साथ आपका जुड़ाव लगातार बना रहे तो आप सहज ही जीवन के मकसद की तरफ अपने आप बढऩे लगेंगे। फिर आप अपने काल्पनिक विचारों, सपनों, भावनाओं और उलझनों में खोएंगे नहीं।