लोग विकलांग नहीं होते, मानसिकता विकलांग होती है
समाज में विकलांग लोगों को अब भी बहुत सी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन क्या इसके लिए वह व्यक्ति जिम्मेदार है या उसका समाज जिसमें वह रहता है?
विकलांग होना एक सामाजिक समस्या है
आजकल हम ‘विकलांग’ शब्द का इस्तेमाल नहीं करते। हम उन्हें ‘स्पेशल बच्चे’ या ‘स्पेशल व्यक्ति’ कहते हैं।
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रोग, जख्म और जन्मजात दोष जीवन की हकीकत हैं। यह सच है कि हम हर किसी को पैरों के साथ देखना चाहेंगे लेकिन अगर किसी के पास पैर नहीं हैं, तो यह उसके लिए भारी दुख का कारण नहीं बनना चाहिए। लोग उसकी मदद कर सकते हैं ताकि उसका जीवन उतना मुश्किल न हो। यह एक व्यक्तिगत समस्या से अधिक एक सामाजिक समस्या है, जिसे हल करना जरूरी है।
विकलांग एक तुलनात्मक शब्द है
अलग-अलग लोगों में अलग-अलग क्षमताएं होती हैं। हम सभी 9 सेकेंड में 100 मीटर नहीं दौड़ सकते। क्या इसका यह मतलब है कि हम विकलांग हैं?
एक समय था, जब बहुत से लोगों को पोलियो हो जाता था। अब सरकारें, संस्थान और सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग पूरी कोशिश कर रहे हैं कि हर बच्चे को पोलियो का टीका लग सके। लेकिन फिर भी अगर किसी को पोलियो हो जाए, तो समाज को उसे जरूरी मौका देना चाहिए ताकि वह एक संपूर्ण जीवन जी सके। चाहे पब्लिक ट्रांसपोर्ट में चढ़ने की बात हो या सार्वजनिक जगहों पर जाने की, कई देशों में अब भी विकलांग लोगों के लिए काफी उपाय नहीं किए गए हैं जिससे वे समाज में अपना काम चला सकें। लगभग हर चीज जो हमने बनाई है, वह उनके लिए एक बाधा है।
विकलांग न होते हुए भी हंसी उडाई जाती है
जो लोग शारीरिक रूप से विकलांग नहीं होते, उनकी भी कुछ अयोग्यताओं के कारण हंसी उड़ाई जाती है। हम सभी हर काम एक ही तरीके से नहीं कर सकते।
आप अपने भीतर कैसी स्थिति चाहते हैं, लोग चाहे कुछ भी कहें, आप अपने शरीर, मन और भावनाओं के साथ शांत कैसे रह सकते हैं, इन चीजों का एक पूरा विज्ञान है। इसे हम ‘योग’ कहते हैं। यह ऐसी तकनीक है जो आपकी पहचान बनाए रखती है। अब ‘आप’ अपने आप में कोई समस्या नहीं रह जाते, सारी समस्याएं बाहरी होती हैं। हम जिन वास्तविकताओं में मौजूद होते हैं, उनके अनुसार हम बाहरी समस्याओं को सुलझाने के लिए बस उतना कर सकते हैं, जितनी हमारी सर्वश्रेष्ठ क्षमता है। लेकिन जब आप खुद में एक समस्या होते हैं, तो आप बाहरी तौर पर जिस चीज में सक्षम हैं, उसे भी नहीं कर पाते। अगर इंसान वह काम नहीं कर पाता, जिसमें वह सक्षम नहीं है, तो इसमें कोई बुराई नहीं लेकिन अगर वह जो कर सकता है, वह भी नहीं करता, तो उसका जीवन बेकार है। ऐसा नहीं होना चाहिए।