मृत गुरु अधिक पूजे जाते हैं, क्यों?
जीवित गुरु को लेकर कई लोगों को समस्या होती है कि वह इंसान की पूजा कैसे करें? लेकिन ऐसे गुरु जो दुनिया से जा चुके हैं, उनकी पूजा पूरे विश्व में बड़ी संख्या में लोगों द्वारा की जाती है। क्या है जीवित गुरु से कम लोगों के जुड़ने का कारण?
शेखर कपूर : सद्गुरु, जब लोगों के दिमाग में गुरु का ख्याल आता है, तो उन्हें जीवित गुरु से बड़ी समस्या होती है। दुनिया में सभी लोग उनकी पूजा करते हैं, जो गुजर चुके हैं।
अतीत के गुरु ही आत्मज्ञानी क्यों माने जाते हैं?
मैं आपको एक मित्र के रूप में जानता हूँ, मित्र के तौर पर गले मिलता हूं, मगर आप एक आत्मज्ञानी व्यक्ति हैं, गुरु हैं इसलिए मैं आपके पैर छू सकता हूं।
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सद्गुरु : इसके लिए उन्हें मरना पड़ता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। है न?
शेखर कपूर : हां। मैं कोशिश कर रहा था कि इस शब्द का इस्तेमाल न करूं, मगर उन्हें मरना पड़ता है। यह एक बड़ी समस्या है। इस पर बात करते हैं।
सद्गुरु : इसकी वजह यह है कि मौजूदा चीजों की अहमियत समझने के लिए आपके अंदर एक खास बुद्धिमानी और जागरूकता होनी चाहिए। हजारों साल पहले मौजूद रहे किसी व्यक्ति को महान कहना और उसकी पूजा करना बहुत आसान है क्योंकि लाखों लोग ऐसा कह रहे हैं। हर कोई अतीत पर मंत्रमुग्ध होता है क्योंकि कई पीढ़ियां ऐसा कह चुकी हैं।
कृष्ण के समय उन्हें भी सभी ने नहीं पहचाना
कृष्ण भी जब जीवित थे, तो कितने लोगों ने वास्तव में उन्हें पहचाना था?
लेकिन अपने सामने मौजूद किसी जीवित प्राणी को पहचानने के लिए आपको एक खास काबिलियत, जागरूकता और बुद्धिमानी की जरूरत होती है। जब जीसस जीवित थे, तो लोगों ने उनके साथ बहुत भयंकर व्यवहार किया। अब आधी दुनिया उनकी पूजा करती है। जब वह दुनिया में थे, तो मुट्ठी भर लोग उनके साथ थे। उनके जाने के बाद हर कोई उनकी बातें सुन रहा है। यह शिष्यता नहीं, बस एक फैन क्लब है।
गुरु क्या होता है?
शेखर कपूर : अब गुरु के कॉनसेप्ट या विचार पर बात करते हैं। गुरु क्या होता है और हम अपने लिए गुरु कैसे तलाश सकते हैं?
सद्गुरु : यह गलत है। भारत में 36 मिलियन देवी-देवता हैं। तो, गुरु क्या होता है? ‘गु’ का मतलब है ‘अंधकार’ और ‘रु’ का मतलब है ‘दूर करने वाला’। जो आपके अंधकार को दूर करे है, वह गुरु है। अगर आप चाहें तो उसे रोशनी का बल्ब कह सकते हैं। बस वह हर समय जलता रहता है। आप जो चीज नहीं देख सकते, वह आपको दिखाता है - वही गुरु है। या दूसरे शब्दों में कहें तो मुख्य रूप से आप एक यात्रा करना चाहते हैं और गुरु की तलाश में हैं, वह आपके लिए एक जीवंत रोडमैप है। जब आप अनजान रास्तों पर जाएंगे, तब आपको पता चलेगा कि रोडमैप बहुत महत्वपूर्ण होता है। हमारी परंपरा में कहा गया है, ‘गुरु ईश्वर से बढ़कर है’ क्योंकि जब आप किसी अनजान इलाके में खो जाते हैं, तो जीवित रोडमैप किसी भी चीज से अधिक महत्वपूर्ण होता है।
क्या गुरु के बिना मार्ग पर चल सकते हैं?
‘क्या मैं गुरु के बिना रास्ता नहीं खोज सकता?’ यह सवाल एक खास अहंकार से भरे दृष्टिकोण से पैदा होता है। ‘मैं इसे खुद क्यों नहीं कर सकता?’ देखिए, आप घड़ी का इस्तेमाल करते हैं, ठीक है? मैं आपको घड़ी के सभी पुर्जे दे देता हूं। आप अपनी घड़ी बनाकर दिखाइए। मैं आपको कंप्यूटर या अंतरिक्ष यान बनाने के लिए नहीं कह रहा हूं। घड़ी जैसी मामूली चीज में आपको पूरा जीवन लग सकता है। इसलिए आप घड़ी के लिए घड़ीसाज के पास जाते हैं। तो किसी ऐसी चीज के लिए गुरु के पास जाने में आपको क्या समस्या है, जो आप नहीं जानते।