मुफ़्त का नशा @ 24x7
नशा को छोड़ देने के लिए सेहत को कारण मना जाता है। क्या शराब और अन्य नशे को छोड़ने के लिए क्या हम कोई उससे बड़ा नशा अपना सकते हैं? जानें शराब से बड़े नशों के बारे में...
वैसे तो नशा एक बुरी चीज है, लेकिन अगर आपको एक ऐसा विकल्प मिले जहां आपको नशे सा शुरुर तो मिले, मजा तो मिले लेकिन आपकी सेहत को कोई नुकसान भी ना हो, और वह भी बिल्कुल मुफ्त तो आप क्या कहेंगे ?
अंग्रेजी में एक कहावत है – ‘ऐन ऐपल ए डे, किप्स द डॉक्टर अवे’ यानी दिन में एक सेब खाने से डॉक्टर आपसे दूर रहता है।’ मगर दिन में एक बार शराब पीने से डॉक्टर हमेशा आपके साथ रहता है।
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छोटे नशे से संतुष्ट न हों
मैं शराब या ख़ुशी के खिलाफ नहीं हूं। सवाल यह नहीं है कि ‘यह गलत है या सही?’ यह कोई नैतिकतावादी नजरिया नहीं है। मुझे तो बस तरस आता है कि इंसान इतने छोटे सुखों से संतुष्ट हो रहा है, जबकि वह अपने अंदर इससे कहीं ज्यादा बड़ा आनंद पा सकता है। आप हर समय नशे में रह सकते हैं। वह भी मुफ्त में। अगली सुबह कोई नशे की खुमारी नहीं – यानी ना कोई ‘हैंगओवर’ ना किसी डॉक्टर की जरूरत। मूलभूत सवाल यह है कि आप जीवन के साथ हैं या जीवन के खिलाफ? अगर आप उसके साथ में हैं, तो आप जीवन किसे मानते हैं?
फिलहाल, आप जानते हैं कि आप जीवित हैं क्योंकि आप काफी सजग हैं। मान लीजिए, आपको नींद आ गई, तो क्या आपको पता चलेगा कि आप जीवित हैं या मृत? सारा अनुभव गायब हो जाता है। मुख्य रूप से जीवन के आपके अनुभव में आपकी जागरूकता ही जीवंतता है। आप जितने जागरूक होते हैं, उतने जीवित होते हैं।
क्योंकि जीवन का अनुभव ऐसा होता है कि जिसके प्रति आप जागरूक होते हैं, आपके लिए सिर्फ उसी का अस्तित्व होता है, बाकी चीजों का आपके लिए अस्तित्व नहीं होता। चाहे यहां कोई भी चीज मौजूद हो, अगर आप उसके प्रति जागरूक नहीं हैं, तो आपके लिए उसका अस्तित्व नहीं होता।
अगर आप पूरी तरह जागरूक हो जाएं, तो यहां सृष्टि के एक छोटे से अंश, हाड़-मांस के एक पींड के रूप में मौजूद होने की बजाय, आप खुद स्रष्टा के रूप में मौजूद होंगे। आपके पास यह चुनाव है। आप यहां बस सृष्टि के एक अंश के रूप में रह सकते हैं या खुद स्रष्टा के रूप में।
अगर आप एक स्रष्टा के रूप में मौजूद होना चाहते हैं, तो आपकी जागरूकता का विस्तार होना होगा। मगर आपकी निराशाएं, आपकी नाखुशी, आपके भ्रम, आपकी शराब, हर चीज आपकी जागरूकता को कम कर रही है। अगर आप बस थोड़ी सी खुशी चाहते हैं, तो मैं उसके खिलाफ नहीं हूं। लेकिन अगर आप पूरा आनंद चाहते हैं, तो क्या ऐसा मौका मिलने पर आपको उसमें दिलचस्पी नहीं होगी? क्या आप ये सीखना नहीं चाहेंगे कि कैसे हर समय नशे जैसे आनंद में डूबे रहा जाए और वह भी पूरी तरह जागरूक रहते हुए?