अपने पैशन पर ध्यान दें या पढ़ाई पर?
सद्गुरु से प्रश्न पूछा गया कि अगर संगीत जीवन का पैशन हो, लेकिन पढ़ाई से घिरे होने की वजह से उसके लिए समय निकालना पड़ रहा हो तो क्या करना चाहिए?
प्रश्न : सद्गुरु, मुझे रोज पढ़ाई के लिए समय निकालना होता है, मगर मेरे पैशन का पढ़ाई से कोई संबंध नहीं है, फिर मैं उसे कैसे पूरा करूं?
सद्गुरु : किसी व्यक्ति में एक खास सहज योग्यता, प्रतिभा और सही मात्रा में पैशन होना चाहिए। अगर आपके पास पैशन अधिक है, लेकिन पर्याप्त योग्यता और कुशलता नहीं है, तो यह पैशन आपको जला डालेगा। आपको अपनी योग्यता और कुशलता को बढ़ाना चाहिए, अपने पैशन को नहीं। मसलन, अगर संगीत आपका पैशन है, अगर आप किसी वाद्ययंत्र को इस तरह बजाते हैं कि हर कोई मंत्रमुग्ध रह जाता है, तो आपके शिक्षक आपको कुछ और पढ़ाने की बजाय खुद बैठ कर हर दिन आपका संगीत सुनेंगे। इसलिए सिर्फ दीवानगी दिखाने की बजाय आपको अपनी काबिलियत और प्रतिभा को बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए। ‘अरे, मुझे समय ही नहीं मिल पाता। वे मुझे फिजिक्स, कैमिस्ट्री पढ़ने के लिए कहते हैं।’ पता है, जब सत्संग में कोई मुझसे बोरिंग सवाल पूछता है, तो मैं तत्काल खुद के लिए कोई संगीत बजाने लगता हूं।
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आपने सुनने की काबिलियत से संगीत की रचना होती है
संगीत कुछ बजाने या गाने से नहीं आता। आपकी सुनने की क्षमता से संगीत पैदा होता है।
कौवा भी हर समय एक ही तरह से कांव-कांव नहीं करता। उसका पिच अलग-अलग होता है और इसकी पूरी रेंज होती है। अगर आप उस पर ध्यान दें तो हर चीज की एक खास ज्यामिति होती है। सभी ध्वनियों की एक खास ज्यामिति होती है। अगर आप सजग होकर सुनें तो उसमें संगीत होता है। इस तरह आप अपनी सहज योग्यता बढ़ा सकते हैं। अगर आपकी सहज योग्यता ऐसी हो जाती है कि कोई आपको अनदेखा अनसुना नहीं कर सकता, तो आपको शौक को लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। लोग खुद ही आपको आगे बढ़ा देंगे। आपको दीवानगी दिखाने की जरूरत नहीं है। आपको सिर्फ सहज योग्यता दिखाने की जरूरत है।
अपनी सहज योग्यता को बढ़ाना होगा
तो अपने पैशन को लेकर मेहनत मत कीजिए। उसको निष्क्रिय रहने दीजिए।