सही समय पर काम करना क्यों आवश्यक होता है?
हम सब ये चाहते हैं कि हमारे काम का हमेशा अच्छा परिणाम मिले। पर बहुत बार हमारी सारी कोशिशों के बाद भी ऐसा नहीं हो पाता। तो यहाँ सद्गुरु समझा रहे हैं कि तीव्रता, पूरी तरह से शामिल होने और हमारे इरादों के अलावा, वह क्या है जो हमारी कोशिशों के फ़ल को तय करता है?
प्रश्नकर्ता: सद्गुरु, कई बार ऐसा होता है कि मैं पूरे ज़ोर-शोर से अपने लक्ष्य का पीछा करता हूँ। और कई बार मैं धीरज रखने की कोशिश करता हूँ, और राह देखता हूँ कि चीजें अपने आप ही अच्छे ढंग से हो जायें। आप इनमें से किस तरीक़े को बेहतर समझते हैं?
सद्गुरु: इस दुनिया में, जब कुछ काम करने की बात आती है, तो हमें पता होना चाहिये कि हम क्या कर रहे हैं? काम करने की काबिलियत, बुद्धि, ये सब चीजें ज़रूरी हैं, पर एक महत्वपूर्ण पहलू जिसे लोग अनदेखा कर जाते हैं, खास तौर पर जब वे छोटे होते हैं, वह है - सही समय। अगर आप सही समय पर काम नहीं करते तो अच्छे से अच्छा काम भी बेकार हो जाता है। जिन्हें यह नहीं मालूम कि वे अपने जीवन को समय के हिसाब से कैसे चलायें, वे ज्योतिष पत्री को देख कर कहेंगे, “यह समय अच्छा है, यह समय खराब है, यह समय शुभ है, यह समय अशुभ है, वग़ैरह वग़ैरह"। पर असलियत में ऐसा कुछ नहीं होता।समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। ये एक ऐसी बात है, जिसके बारे में मैं लगातार प्रयास करता रहता हूँ - कि लोग सही समय पर काम करने के महत्व को समझें। वे काम के महत्व को तो समझते हैं, पर वे सही समय के महत्व को नहीं समझते। अगर सही समय पर किया जाये तो छोटा सा काम भी बड़ा प्रभाव डालता है। अगर ये सही समय पर न हो तो आप कितना भी जोर लगा लें, उसका प्रभाव कम ही होगा। आप सही समय को कैसे समझते हैं, ये एक जटिल मामला है। एक पहलू ये है कि एक मनुष्य के रूप में आप दिन के चौबीसों घण्टे एक समान शारीरिक और मानसिक काबिलियत नहीं रखते। ये हर समय बदलती रहती है। आप जब किसी महत्वपूर्ण लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं तो उस समय आप की स्थिति सबसे अच्छी होनी चाहिये। आप को समय की परवाह करनी चाहिये। दूसरों के साथ सही समय पर काम करने के लिये आपको बहुत अनुभव और बुद्धिमत्ता की ज़रूरत होती है। पर अपने काम आपको समय के हिसाब से करने चाहिएँ। आप को अपने महत्वपूर्ण काम तब करने चाहिएँ जब आप अपनी सबसे अच्छी अवस्था में हों। जब आप बहुत अच्छी अवस्था में न हों तो आप को महत्वपूर्ण काम नहीं करने चाहियें।
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उस अवस्था में होना
अभी हाल ही में, एक आदमी ने दूसरे को मेरे साथ गाड़ी में चलने का बहुत साल पहले का अनुभव सुनाया। उसे अभी तक ये याद है क्योंकि वह बहुत ही ज्यादा घबरा गया था। मेरा दाहिना पैर ज्यादा भारी है। उसने कहा, "जिस तरह से सद्गुरु गाड़ी चला रहे थे, मैंने उनसे कहा, सद्गुरु, इस तरह मत चलाईये"! किसी खास दिन, जब मैं अपनी सबसे अच्छी अवस्था में होता हूँ, तो मैं जानता हूँ कि मैं चाहे कुछ भी करूँ तो वो ठीक ही होगा। किसी और दिन, जब मैं वैसी अवस्था में नहीं होता, तब मैं जानता हूँ कि इस दिन मुझे थोड़ा पीछे हट कर रहना चाहिये और ज्यादा सावधानी से चलना चाहिये, जैसे और लोग करते हैं। बाकी दुनिया के साथ और बाहरी परिस्थितियों के साथ सही समय पर रहना होता है। सही समय पर सही काम करने के लिये ज्यादा बारीकी से देखने, और ज्यादा अनुभव की ज़रूरत होती है। सही समय पर काम करना ज़रूरी है, और यह ज़रूरी है कि जब आप महत्वपूर्ण काम करना चाहें तो आप अपनी सबसे अच्छी अवस्था में हों।
आप जब एक बार ये समझ लेते हैं तो आप ये भी समझ जायेंगे कि अपने जीवन के हर पल में आप को स्वयं को अपनी सबसे अच्छी अवस्था में रखना चाहिये। क्योंकि, वो हर छोटी चीज़ भी, जो आप करते हैं, अगर आप उसे उसी तरह के ध्यान के साथ करना सीख लेते हैं, जिसके साथ आप तथाकथित बड़ी बातें करते हैं, तब आप देखेंगे कि कुछ समय बाद उन सभी छोटी बातों का कुल जमा असर काफी बड़ा होगा। ये छोटी-छोटी बातें मिल कर बड़ी, अद्भुत बात बन जायेंगी। ये इसलिये होगा क्योंकि आप ने उन सभी बातों को भी पूरी तरह से, पूरे इरादे के साथ, ध्यान से और अभिव्यक्ति की तीव्रता के साथ किया है।
जब तक आप इन सब बातों को सही ढंग से नहीं समझते, तब तक एक सरल, मूल चीज़, आप को करनी चाहिये। वह ये है कि आप यह मत तय कीजिये कि क्या महत्वपूर्ण है, और क्या महत्वपूर्ण नहीं है। हर चीज़ पर एक जैसा ही पूरा ध्यान दीजिये, और अपने आप को तीव्रता के उसी एक स्तर पर अपने हरेक काम में लगाईये। अगर भगवान आते हैं तो भी वही तीव्रता, और अगर एक चींटी आती है तो भी उतना ही ध्यान और उतनी ही तीव्र भागीदारी। अगर आप बस इतना करेंगे तो सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा।
अभी मनुष्यों के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि वे ऐसा सोचते हैं, "ये महत्वपूर्ण है - ये महत्वपूर्ण नहीं है", "यह व्यक्ति महान है - वह आदमी कुछ काम का नहीं है", "ये बात ठीक है - वो ठीक नहीं है", "ये भगवान है - वो शैतान है"। इन सब की वजह से वे बस आधे ही जीवित रहते हैं। क्योंकि आधे समय में वे जो कुछ कर रहे हैं, उसे महत्वपूर्ण नहीं समझते और उस काम में पूरी तरह शामिल नहीं होते। अभी आप जो साँस ले रहे हैं, क्या वह महत्वपूर्ण नहीं है? तो आप को ये पूरी तीव्रता के साथ, पूरी भागीदारी के साथ, पूरी तरह से शामिल हो कर करना चाहिये। तभी हम आप को योगी कहेंगे।
एक आसान तरीका
महत्वपूर्ण या गैर-महत्वपूर्ण चीज़ जैसा कुछ नहीं होता। आप चाहे अपने दोस्त की ओर देखें या किसी ऐसे आदमी की ओर जो आप को पसंद नहीं है, आप जो भी कर रहे हैं वह सामाजिक रूप से चाहे महत्व का हो या न हो, जहाँ तक आप का सवाल है एक जीवन के रूप में आप के जीवन का हर पल एक समान महत्वपूर्ण है। हर जो चीज़ आप करते हैं, वह महत्वपूर्ण ही है। जो चीज़ महत्वपूर्ण न हो, उसे आप करें ही नहीं। अगर आप किसी चीज़ को महत्वपूर्ण नहीं मानते, तो आप उसमें अपने जीवन का निवेश क्यों कर रहे हैं?
मान लीजिये, आप कोई बेवकूफी भरा काम कर रहे हैं। अगर मैं सोचता हूँ कि ये महत्वपूर्ण नहीं है तो कोई फर्क नहीं पड़ता। पर आप सोचते हैं कि ये महत्वपूर्ण है। यदि आप को ये महत्वपूर्ण लगता है तो आप को इसमें अपने जीवन का निवेश करना चाहिये, नहीं तो आप ये क्यों करेंगे? अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको सही समय पर काम करना आ जाएगा। इसमें थोड़ा समय लगेगा पर आप को सही समय का पता चलने लगेगा, और सही समय पर रहना ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
आप अगर क्रिकेट या गोल्फ जैसे खेल देखते हों, तो आप हमेशा देखेंगे कि वे लोग हमेशा गेंद को एकदम सही समय पर मारने की बात करते हैं। इसमें ताकत का सवाल नहीं है। एक खिलाड़ी गेंद को ज़ोर से मारता है और अपनी ऊर्जा को बेकार गँवाता है। कोई दूसरा खिलाड़ी गेंद को बस घुमा भर देता है और ये सही जगह पर जाती है। यही है समय का महत्व।
ये आप के जीवन में भी सच है। सही समय सबसे महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि समय और ऊर्जा आप के जीवन के वे संसाधन हैं, जो सीमित हैं। किसी के पास भी अंतहीन ऊर्जा नहीं है। किसी के पास अंतहीन समय भी नहीं है। तो आप को इसे सही समय पर करना चाहिये। पहली चीज़ है कि आप अपने आप को बारीकी से देखना शुरू कर दें। जब आप अपनी सबसे अच्छी अवस्था में हों, तब आप अपने काम करें। और, अगर आप अपने आप पर अच्छे से ध्यान देंगे, तो आप देखेंगे कि आप हर पल अपनी सबसे अच्छी अवस्था में ही होना चाहेंगे।