सूर्य नमस्कार में अनाहत को अंगूठे से क्यों दबाते हैं?
सद्गुरु से प्रश्न पूछा गया कि सूर्य क्रिया करते समय अनाहत को अंगूठों के पोरों से दबाने का क्या महत्व है। सद्गुरु हमें इसका विज्ञान समझा रहे हैं।
पूर्णा: सद्गुरु, सूर्य क्रिया के दौरान, अनाहत में अंगूठे के पोर दबाने का क्या मकसद है?
सूर्य नमस्कार में सूर्य के प्रति भाव पैदा करना चाहिए
सद्गुरु : सूर्य क्रिया, सूर्य नमस्कार व सूर्य शक्ति, इनके लिए आपको सूर्य के प्रति एक भाव पैदा करना चाहिए।
सूर्य आपके साथ लगातार संपर्क बना रहा है। यह सारा सौर मण्डल सूर्य की शक्ति से चलता है। केवल इसी वजह से, धरती पर जीवन संभव है। हमारा शारीरिक ढांचा भी इसी पर निर्भर करता है। हठयोग का संबंध सूर्य व चंद्रमा से है, जिन्हें जीवन का महत्वपूर्ण घटक माना जा सकता है। इन दोनों के सामूहिक प्रभाव से ही धरती पर इंसान के शरीर का जन्म हुआ।
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सूर्य ही सारी प्राण ऊर्जा का स्रोत है
सूर्य जीवन ऊर्जा का स्रोत है। आपके भीतर मौजूद प्राण एक भौतिक ऊर्जा है। सृष्टि की प्रक्रिया में, ऊर्जा का जो भौतिक रूप मानव सिस्टम में प्रकट होता है, उसे हम प्राण कहते हैं।
हम आपके भीतर सूर्य तत्व को जगाना चाहते हैं। अगर आप सूर्य के नीचे किसी चीज को सुखाएं तो वह जल सकता है। कोई भी वस्तु सूर्य की किरणों को अपने भीतर सोखने के बाद ही ऊर्जा पैदा करने की काबिल बन पाती है। अगर सूर्य की ऊर्जा को सोखा न जाता तो कुछ भी जल नहीं सकता था, कुछ भी प्रकाश या गर्मी नहीं दे सकता था। अगर शरीर को निरोग रखना है, तो हमें ऊष्मा पैदा करनी होगी। इस संदर्भ में, मानव शरीर को अच्छी सेहत देने के लिए ‘समत प्राण’ एक अहम पहलू है।
सूर्य की ऊर्जा से समत प्राण बढ़ जाता है
जीने की प्रक्रिया शरीर की हर कोशिका पर भारी पड़ती है। कहते हैं कि एक औसत मनुष्य के शरीर में, कोशिकाओं की औसत आयु सात से दस वर्ष है।
सूर्य क्रिया से आप अपने भीतरी सूर्य को जगा सकते हैं, लेकिन आप इसे बाहरी सूर्य की मदद से करते हैं। अगर आप बाहरी सूर्य से संपर्क साधना चाहें तो आपको अपने ध्यान, भावना व ऊर्जा को उस दिशा में केंद्रित करना होगा। इसके बिना आप किसी भी चीज से संपर्क नहीं बना सकते - भले ही वह कोई इंसान हो या पौधा, पशु हो या वस्तु। जब आपका ध्यान, भाव व ऊर्जा आसपास की किसी भी वस्तु पर केंद्रित नहीं होते, तो आप अपने से ही एक अलग अस्तित्व हो जाते हैं। और अधिकतर लोग ऐसे ही जीते हैं।
अनाहत इंसानी सिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा है
एक पहलू यह है कि आप अनाहत को जागृत करें, जो इंसानी सिस्टम का अहम हिस्सा है। यह निचले व ऊपरी तीन चक्रों का मिलन बिंदु है। दो समबाहु त्रिभुज इसका प्रतीक है।
यही कारण है कि इसे अनाहत कहते हैं - बिना चोट के पैदा हुई ध्वनि। आम तौर पर किसी चोट से आवाज पैदा करने के लिए दो वस्तुएं चाहिए, लेकिन अनाहत की यह ध्वनि एकांगी है। इसे सक्रिय करने के लिए, आपको अपना अंगूठा इस तरह दबाना है कि पोर बाहर की ओर हों और आप उन्हें अनाहत की ओर दबा सकें। इस तरह, आप सूर्य के प्रति एक खास भाव पैदा कर सकते हैं।
ठीक इसी तरह, जब आप एक सुखद भाव को अनुभव करते हैं, तो सहज तौर पर आप अपने हाथ अनाहत पर रखते हैं, क्योंकि यह यहीं से शुरु होता है। आप अपने भावात्मक आयामों को सक्रिय करना चाहते हैं, क्योंकि अपने भावों को किसी चीज पर केंद्रित किए बिना, आपका मन किसी चीज से जुड़ नहीं सकता। आप अपने भावों को जहां केंद्रित करते हैं, आपका मन भी वहीं होगा। नहीं तो अपने मन को एक स्थान पर टिकाए रखना मुश्किल होगा।