महासामाधि – क्या ये सम्भावना सभी के लिए है?
महासमाधि क्या है ? आध्यात्मिक जिज्ञासुओं का ये सबसे बड़ा उद्देश्य क्या हमारे लिये भी एक संभावना हो सकता है? इनके लिये सही प्रेरणा एवं मार्ग क्या हैं ? आप के लिये ये कैसे होगा,और, किस प्रकार की साधना आप को वहां ले जायेगी ? ये कुछ प्रश्न उन सभी प्रश्नों में से हैं जिनके उत्तर सदगुरु इस लेख में दे रहे हैं। वे यहां तक कह रहे हैं, "जब आप के लिये जाने का समय आयेगा तो मैं यह सुनिश्चित करूँगा कि आप अच्छी तरह से जायें। ये एक वादा है"।
महासमाधि का क्या अर्थ है?
सम का अर्थ है एक-सा होना और धी का अर्थ है बुद्धि। समाधि में अच्छे और बुरे, ऊंचे और नीचे, खुशी और दुःख, दर्द और प्रसन्नता का भेद नहीं होता। महासमाधि का अर्थ है महान समाधि -- बुद्धि की समता का सबसे उंचा स्तर, इसका अर्थ है आप की बुद्धि पर किसी भी बाहरी बात का असर न होना।
अभी, इस समय, आप की बुद्धि बाहरी तत्वों के कारण ही काम करती है -- जो कुछ भी आप ने पढ़ा, सुना, इकट्ठा किया है, उसके कारण। आप के मन में जो सूचनाएं भरी हैं, उनसे आप लोगों को बुद्धिमान लगते हैं। आप अपनी याद्दाश्त को अपनी बुद्धिमत्ता के रूप में पेश करते हैं, जो वो नहीं है। जब आप अपनी याद्दाश्त को अपनी पहचान बना लेते हैं तो फिर समबुद्धि संभव नहीं है।
चूंकि यादों को पूर्वाग्रह के साथ इकट्ठा किया गया है - मैं इस व्यक्ति को पसंद करता हूँ, उसको पसंद नहीं करता, यह व्यक्ति अच्छा है, वो बुरा है, ये बिल्कुल ठीक है, वो ठीक नहीं है। ये सब फैसले और पूर्वाग्रह याद्दाश्त के कारण हैं। हर चीज़ किसी न किसी रूप में अच्छी या बुरी बतायी जाती है, आप को क्या पसंद है, क्या नापसंद, ये ऊँचा है या नीचा, भगवान है या शैतान।
महासमाधि की संभावना कब बनती है?
जब तक आप इकठ्ठा की गई यादों के ढेर के आधार पर अपनी पहचान बनाये रखते हैं, समबुद्धि की कोई सम्भावना ही नहीं है। समाधि समता वाली बुद्धि है। इसका मतलब यह है कि आप को अपनी याद्दाश्त को अपनी बुद्धि से अलग करना है। अगर आप की बुद्धि आप की याद्दाश्त से अलग हो जाती है, तो कुछ समय तक ये परेशान होती है। लेकिन कुछ साधना करने के बाद आप को अचानक लगेगा कि यादों का कोई मतलब ही नहीं है। आज़ादी वाकई एक अजीब चीज़ है।
सभी कहते हैं कि उन्हें आज़ादी चाहिये लेकिन असल में वे बंधन बांधने का ही काम कर रहे होते हैं। हर कोई अपने आप को किसी वस्तु या किसी व्यक्ति से बांधने में लगा है। चाहे कोई पुरुष किसी स्त्री के साथ बंधन बना रहा है या कोई स्त्री किसी पुरुष के साथ, या कोई किसी भगवान के साथ या कोई दल या विचारधारा, कोई दार्शनिक सिद्धांत, कोई विश्वास, या अब ईशा के साथ। आप चाहे किसी के भी साथ अपने को बांध लें, आप अपने आप को इसीलिये बांध रहे हैं क्योंकि आप कोई अर्थ ढूंढ रहे हैं।
Subscribe
अगर आप खुद को किसी ऐसी चीज़ से बांध लेते हैं जो किसी भी ढंग से आप की यादों को, चाहे थोड़े ही समय के लिये, ख़त्म कर दे, तो ये बंधन अच्छा है। शुरुआत में यह अच्छा बंधन है क्योंकि यह आप के भूतकाल और आप के बीच एक दूरी बना देता है। यही ब्रह्मचर्य और संन्यास का अर्थ भी है - आप ने अपनी यादों से अपने आप को अलग कर लिया है क्योंकि आप समबुद्धि चाहते हैं।
अगर आप अपनी याद्दाश्त से ही जुड़े रहेंगे तो कभी समबुद्धि की स्थिति में नहीं आ सकते। यह ऐसा है जैसे आप गाड़ी के एक्सेलेरेटर को दबायें और सोचें कि गाड़ी रुक जायेगी। वो रुकेगी नहीं, बल्कि और ज्यादा तेज़ होती जायेगी। महासमाधि कोई उपहार या पुरस्कार नहीं है जो आप को प्राप्त करना है। महासमाधि जीवन को ख़त्म करने का तरीका नहीं है
आप के जीवन में कष्ट हैं, या कोई बीमारी है या आप कुछ करना चाहते हैं और नहीं कर पा रहे या कुछ बहुत पीड़ादायक हो गया है – इसीलिए आप जीवन का अंत करना चाहते हैं, तो महासमाधि कोई ऐसा तरीका नहीं है, जिसे आप ऐसा करने के लिए अपना सकें। जीवन का अंत कर लेना आत्महत्या कहलाता है, महासमाधि नहीं।
अपने जीवन के कष्टों को दूर करने के एक साधन के रूप में महासमाधि का विचार मत कीजिये, महासमाधि की आकांक्षा इसलिये होती है कि आप जीवन के एक दूसरे आयाम का अनुभव कर सकें। महासमाधि की आकांक्षा का अर्थ है कि आप जीवन के साथ इतने अधिक प्रेम में हैं कि आप उसके मूल को जानना चाहते हैं। आप अपने जीवन का, उसकी पूर्ण गहराई में अनुभव कर चुके हैं और अब आप उसके अन्य आयामों को जानना चाहते हैं। महासमाधि आप को केवल इसलिये नहीं मिल जायेगी कि आप को उसकी तीव्र इच्छा हो रही है। ये सिर्फ इसलिये मिलेगी कि आप ने अपने आप को अपनी यादों से बिलकुल अलग कर लिया है - आप आज को आज की तरह जीते हैं - बीते हुए दिनों की इकठ्ठा की हुई बकवास की तरह नहीं। हमने पहले ही आप को वहां पहुँचने के तरीके सिखाये हैं। शाम्भवी महामुद्रा जैसी एक सरल क्रिया आप को उस स्थिति तक ले जा सकती है, अगर आप बाकी सारी शर्तें सही ढंग से पूरी करें। आप को किसी अन्य चीज़ की ज़रूरत नहीं है।
इनर इंजीनियरिंग के साधन याद रखने होंगे
अगर आप ने शाम्भवी की दीक्षा ली है तो हमने आप को बताया ही है कि क्रिया आरम्भ करने से पहले आप अपने आप को इनर इंजिनीयरिंग का एक क्रैश कोर्स दें। आवश्यक वातावरण बनाये बिना, अपने आप को बंधनों से छुड़ाये बिना अगर आप अपनी नाव खेते हैं तो सिर्फ मौसम के अनुसार दृश्य बदलेंगे, वे इसलिये नहीं बदलेंगे कि आप कहीं जा रहे हैं।
आप अपने आप को यह सोच कर मूर्ख बना सकते हैं कि चीज़ें बदल रही हैं लेकिन वास्तव में कुछ भी बदल नहीं रहा। आप उसी स्थान पर हैं क्योंकि आप यादों के ढेर से बंधे हुए हैं। सारी संस्कृति कर्म के बारे में बात कर रही है, "अरे, कर्म !!" इसका अर्थ यह है कि आप अपनी यादों के गठ्ठर को हर समय ढो रहे हैं, खींच रहे हैं लेकिन फिर भी आप मुक्त होना चाहते हैं। यदि मैं कहूँ, " चलो, हम जायें" तो आप कहेंगे, "पर, मेरा गठ्ठर ?" यह गठ्ठर ही आप का बंधन है। और कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जिसने आपको यहाँ बाँध कर रखा है।
कर्म ही बंधन हैं
कर्म ही आप का एकमात्र बंधन है। तो क्या आप अपने बीते हुए कल को छोड़ने और सिर्फ यहाँ होने के लिये तैयार हैं ? नहीं! आप अपने साथ अपने सारे कल ढोना चाहते हैं। अगर आप को अपनी जवानी और अपना स्वास्थ्य वापस मिल जाये तो आप फिर से वही करेंगे। मुझे विश्वास है कि आप सभी लोग, अपने जीवन के अलग-अलग समय में अपने साथी को वादा करते रहे हैं, " यदि, मुझे सात और जन्म मिलें तो मैं तुम्हारे साथ ही रहना चाहूंगा"!
जनम - जनम..., आप को वो गीत मालूम है। अगर ये सच है तो बहुत भयानक है। अगर ये सच नहीं है तो बुद्धिमानी है, मैं ये आप पर छोड़ दूंगा। अपने कष्टों के कारण महासमाधि की आकांक्षा न करें। महासमाधि की आकांक्षा इसलिये करें क्योंकि आप को जीवन से पूरा संतोष है, आप तृप्त हैं और जीवन के अन्य आयामों में पहुंचना चाहते हैं। आप ने यह बहुत देख लिया है। भूतकाल में क्या हुआ, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। आज अगर आप को कष्ट है तो वो सिर्फ इसलिये कि आप कुछ और याद कर रहे हैं जो आप को लगता है कि बेहतर था।
यादों को छोड़ना हमारा काम है
अपनी यादों के गठ्ठर को यहीं छोड़ दें। सुबह उठें, सूर्य ताजा और नया है, हवा भी ताज़ी है और नयी है, सब कुछ नया है - बस ये जो है उसका अनुभव लें। और अपनी सरल योग क्रियाओं को अधिक से अधिक भागीदारी और निष्ठा से करें। जब जाने का समय आयेगा तब मैं सुनिश्चित करूँगा कि आप अच्छे ढंग से जायें। यह वादा है।
लेकिन इस जीवन को इसलिये छोड़ देने का प्रयत्न न करें कि यह कष्टपूर्ण हो गया है। अगर आप अपने अनुभव में दुःख और कष्ट ले कर जाते हैं तो अलग अलग ढंगों से, वो ही बातें कई गुना ज्यादा होंगीं। तो अपने साथ ऐसा न करें। आप यहाँ, इस संसार में, इन्हें कम करने के लिये आये हैं, कई गुना बढ़ाने के लिये नहीं। अगर आप इन्हें पूरी तरह ख़त्म नहीं कर सकते तो कम से कम इन्हें कम तो कीजिये !
ये कुछ ऐसा है कि आप को करना चाहिये क्योंकि अगर आप वो नहीं करते जो आप कर सकते हैं, तो मैं आप की मदद कैसे करूँगा? अगर आप वो सब करें जो आप कर सकते हैं तो कुछ चीज़ें ऐसी होंगी, जो आप नहीं कर सकेंगे क्योंकि वे आप के अनुभव में नहीं हैं। वे बातें मैं आप के लिये पूर्ण रूप से, शत प्रतिशत करूँगा !