आकाश तत्व के बारे में विस्तार से बताते हुए सद्गुरु कहते हैं कि आकाश को ईथर भी कहा जाता है। ईथर या आकाश का मतलब स्पेस नहीं है, ईथर अस्तित्व का एक ऐसा आयाम है जो सूक्ष्म है। जब हम कहते हैं ‘स्पेस’, तो हम काल या अनस्तित्व के बारे में बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ‘शि-व’ के बारे में – ‘वह जो नहीं है।’ जब हम कहते हैं ‘आकाश’, तो हम उसके बारे में बात कर रहे हैं ‘जो है।’ सद्गुरु यह भी बता रहे हैं कि प्राचीन ऋषि मुनियों ने हवाई जहाज बनाने की तकनीक पता होने पर भी हवाई जहाज क्यों नहीं बनाए।
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