अनाहत एक दूसरे को काटते हुए दो त्रिकोणों का प्रतीक है, जिससे छह कोण वाले तारे की आकृति बनती है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि कैसे हमारे शरीर में मौजूद निचले तीन चक्र और ऊपर के तीनों चक्र इस बिंदु पर आकर मिलकर एक हो रहे हैं। इसका मतलब हुआ कि इस च्रक में छह चक्रों की खूबियां होती हैं। इसका एक मतलब यह भी हुआ कि सभी सातों चक्र एक खास तरीके से यहां आकर आपस में मिल जाते हैं। कई संस्कृतियां इस प्रतीक का इस्तेमाल कई अलग-अलग संदर्भों में कर रही हैं, लेकिन मूलरूप से यह इसी का प्रतीक है।

जीवन का हर रूप उठाना चाहता है

बुनियादी रूप से हर जीव अपनी समझ के हिसाब से किसी न किसी रूप में ऊपर उठने की कोशिश कर रहा है। एक कीड़ा हो सकता है किसी पेड़ पर चढऩा चाहे, जबकि चिडिय़ा शायद आसमान में ऊंची उड़ान भरना चाहती हो, जबकि इंसान अमीर होना या नाम कमाना चाहता है अथवा ताकतवर होना चाहता है या फिर आत्मज्ञानी होना चाहता है।

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यह एक ऐसी जगह है जहां आप चीजों को इस तरह से घटित होते हुए देखते व सुनते हैं, जिन्हें थोड़ा-बहुत समझदार व स्थिर व्यक्ति भी देख-सुनकर पागल हो सकता है।
ये सारी कोशिशें खुद को ऊपर उठाने के लिए ही हैं। सृष्टि की यही प्रकृति है, जहां हर जीव अपनी संपूर्ण संभावना के साथ खिलने में लगा हुआ है। कुछ लोग इस काम को सचेतन रूप से करते हैं, जबकि बाकी सब अनजाने में ही ऐसा करते हैं, लेकिन हर कोई ऊपर उठने की कोशिश में है। अनाहत के दो त्रिकोण दो चीजों का प्रतीक हैं, जिसमें ऊपर की ओर जाता त्रिकोण मानव रूपी उस जीव का प्रतीक है, जो ऊपर उठने की कोशिश में लगा है, जबकि दूसरा नीचे की ओर आता त्रिकोण प्रतीक है उस सृष्टि के स्रोत का, जो नीचे आ रहा है।

अनाहत साधना कंफ्यूज कर सकती है

अनाहत वो बिंदु है, जहां ये दोनों त्रिकोण पूरी तरह से अलाइन्ड होकर एक दूसरे को काटते हैं और इस तरह वह एक छह बिंदु वाले सितारे का आकार बनाते हैं, जिसमें एक केंद्र होता है। इसका मतलब यह है कि इस एक जगह पर कई संभावनाएं छिपी हैं। यही एक जगह है, जहां बहुत सारे लोग सभी संभावनाओं को देखने से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि यहां बहुत सारी चीजें हो रही हैं। कुछ को छोडक़र मैंने अधिकांश लोगों को हमेशा अनाहत साधना से दूर रखा है, क्योंकि अगर यहां बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं तो यहां बहुत दुविधा भी है। अनाहत साधना के लिए दो चीजों की जरूरत होती है - भावनाओं की मधुरता और बुद्धि की परम स्थिरता। इसके अलावा आपमें इतना विवेक होना चाहिए कि आप समझ सकें कि क्या वास्तविक है और क्या वास्तविक नहीं है, क्या अनुभव में है और क्या मनोवैज्ञानिक है। अगर आपमें यह विवेक नहीं होगा तो अनाहत पर काम करने या इस स्तर की साधना का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जहां आप चीजों को इस तरह से घटित होते हुए देखते व सुनते हैं, जिन्हें थोड़ा-बहुत समझदार व स्थिर व्यक्ति भी देख-सुनकर पागल हो सकता है। अनाहत का मतलब उस ध्वनि से है, जो बिना किन्हीं दो चीजों के स्पर्श के हो रही हो। धरती पर जितनी भी ध्वनियां हैं, वह इसलिए होती हैं, क्योंकि कोई चीज किसी दूसरी चीज से टकराती है। लेकिन यह वह ध्वनि है, जो आपके सहज मौन होकर बैठ जाने पर भी होती है। यहां कई तरह की ध्वनियां होती हैं - जिनकी पहचान एक सौ आठ अलग-अलग तरह की ध्वनियों के रूप में की गई है। इसी वजह से भारत में अलग-अलग देवी-देवता अलग-अलग ध्वनियों से जुड़े हुए माने गए हैं। अगर आप शिव कहते हैं, तो उनकी ध्वनि डमरू या ड्रम की होगी।

अनाहत पर महारत से ध्वनियाँ सुनाई देती हैं

अगर कोई व्यक्ति अनाहत पर महारत हासिल कर लेता है तो वह अलग-अलग तरह की ध्वनियां सुनने में सक्षम हो जाता है, मसलन- घंटी की ध्वनि, डमरू या नगाड़े फिर वायु पर आधारित यंत्र जैसे बांसुरी आदि की ध्वनि। जब आप ध्वनियां सुनने लगते हैं तो आमतौर पर माना जाता है कि आप पागल हो गए हैं। इसलिए इससे पहले कि आप किसी तरह की कोई ध्वनि सुनें, आपका विवेक पूरी तरह से सुस्पष्ट व आपकी भावनाएं मधुरता से भरी होनी चाहिए। जब आप अपनी भावनाओं में पूरी तरह से मिठास या मधुरता भर लेते हैं तो फिर फर्क नहीं पड़ता कि अलग-अलग तरीके से आपके सामने क्या आ रहा है। अगर ऐसा हुए बिना आप अनाहत के स्तर पर साधना करें तो आपको जो दिखाई या सुनाई देगा, वह आपको डरा सकता है या पागल बना सकता है।

अनाहत और तन्त्र विद्या में सम्बन्ध

तंत्र विद्या में एक महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसमें योगी अपनी देवी खुद तैयार करते हैं, उसके लिए एक खास स्वरूप का निर्माण किया जाता है, फिर उसे जीवंत किया जाता है। मुझे नहीं पता कि आपने डाकिनी, राकिनी या छिन्नमस्ता, काली की प्रतिमाएं देखी हैं या नहीं। ये सब नारी स्वरूप के भयावह रूप हैं।

अगर आप अनाहत चक्र सिद्ध कर लेते हैं तो परा-शक्तियों को लगता है कि आप उनके स्वागत के लिए घंटी बजा रहे हैं और उन्हें आना है। 
हालांकि अब ऐसे योगी तो नहीं रहे, वे बहुत पहले ही चले गए। उन्होंने जिस मकसद से इन प्रतिमाओं या स्वरूपों को बनाया था, वह पूरा हो गया, लेकिन ये रूप अभी भी हैं। अगर आप अनाहत चक्र सिद्ध कर लेते हैं तो परा-शक्तियों को लगता है कि आप उनके स्वागत के लिए घंटी बजा रहे हैं और उन्हें आना है। अगर वे आ गईं तो आप उनके साथ खेल नहीं सकते, बल्कि आप उनसे भयभीत हो जाएंगे। मान लीजिए आपके सामने कोई ऐसी शक्ल आ जाए, जिसकी नाक न हो, बस उसकी जगह दो छेद हों तो आप उसे देखकर डर जाएंगे। अगर आप ऐसे हैं तो आपको अनाहत साधना नहीं करनी चाहिए। कोई भी ऐसा जीव या रूप जो सामान्य इंसानों जैसा न लगे, वह आपको अजीबोगरीब लगता है। तो आपकी सोच के मुताबिक अजीबोगरीब प्राणियों का रूप काली, छिन्नमस्ता, डाकिनी, राकिनी व लंकिनी आदि का है। अनाहत सिद्ध होते ही ये सारी शक्तियां आपकी तरफ आने लगती हैं, यह अपने आप में एक जबरदस्त अनुभव है, लेकिन अगर आपकी भावनाओं की मधुरता और विवेक स्पष्ट नहीं बना रहा तो ये चीजें आपके लिए एक भयावह अनुभव साबित हो सकती हैं, हो सकता है कि आपके मानसिक संतुलन को हिला दें और आप पूरी तरह से अपना दिमाग खो बैठें। हकीकत की कौन कहे, अगर आपके सपने में भी रोज कुछ न कुछ अजीबोगरीब चीजें सामने आएं, तो बहुत सारे लोग अपना दिमागी संतुलन खो बैठेंगे। बहरहाल, उनमें ज्यादा दिमाग है भी नहीं। आधुनिक शिक्षा पद्धति ने मानवता का बड़ा नुकसान किया है, क्योंकि यह शिक्षा मन पर काम नहीं करती, बल्कि सिर्फ हमारी याद्दाश्त पर काम करती है।

तेज़ दिमाग और मधुर भावनाओं का संगम

मानव दिमाग इस तरह से विकसित नहीं हुआ है कि वह इन दो चीजों को संभाल सके। जिन लोगों के पास एक ठीक-ठाक रूप से तेज दिमाग है, उनके भीतर की भावनात्मक स्थिति अकसर कड़वाहट भरी होती है। यह एक आम बात होती जा रही है। आपको ऐसे बहुत ही कम लोग दिखाई देंगे, जिनके दिमाग बहुत तेज हों और उनमें भावनाओं की मधुरता भी हो। तेज व तीक्ष्ण दिमाग का मतलब है कि आप हर व्यक्ति को काटते होंगे, जबकि भावनाओं की मधुरता का मतलब है कि आप एक मूर्ख व्यक्ति होंगे। यह चीज आज दुनिया में लगभग स्वीकार की जाने लगी है, जो किसी भी तरह से ठीक नहीं है। अनाहत एक शानदार जगह है, लेकिन आज की दुनिया में मुझे लगता है कि लोगों के दिमाग को तीक्ष्ण करना और उनकी भावनाओं में मधुरता भरना अपने आप में एक मुश्किल काम है। अब अगर आप अपने विवेकी दिमाग को बेहद तीक्ष्ण व स्थिर बना लें तो अनाहत के आयाम पर आप सृष्टि और स्रष्टा दोनों के साथ आराम से खेल सकते हैं। अनाहत अपने आप में अद्भुत जगह है, क्योंकि यहां सारी चीजें एक ही स्थान पर हैं। इसलिए अनाहत की साधना काफी जटिल होती है, जो लोगों को भयभीत व तोडक़र रख सकती है, लेकिन जो लोग इसे संभालने में कामयाब हो जाते हैं, वे इस धरती के सबसे आश्चर्यजनक व शक्तिशाली इंसान बन जाते हैं।