देवी पूजा : पूजा का सबसे पुुराना रूप
क्या आप जानतेे हैं कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप, अरब और अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में भी देवी पूजा या कहें स्त्री शक्ति की पूजा ही पूजा का सबसे बुनियादी रूप रहा है। अधिक जानकारी के लिए पढ़े...
क्या आप जानतेे हैं कि सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप, अरब और अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में भी देवी पूजा या कहें स्त्री शक्ति की पूजा ही पूजा का सबसे बुनियादी रूप रहा है। अधिक जानकारी के लिए पढ़े...
स्त्री शक्ति की पूजा इस धरती पर पूजा का सबसे प्राचीन रूप है। सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप और अरब तथा अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में स्त्री शक्ति की हमेशा पूजा की जाती थी। वहां देवियां होती थीं। धर्म न्यायालयों और धर्मयुद्धों का मुख्य मकसद मूर्ति पूजा की संस्कृति को मिटाना था। मूर्तिपूजा का मतलब देवी पूजा ही था। और जो लोग देवी पूजा करते थे, उन्हें कुछ हद तक तंत्र-मंत्र विद्या में महारत हासिल थी। चूंकि वे तंत्र-मंत्र जानते थे, इसलिए स्वाभाविक रूप से आम लोग उनके तरीके समझ नहीं पाते थे। उन संस्कृतियों में हमेशा से यह समझ थी कि अस्तित्व में ऐसा बहुत कुछ है, जिसे आप नहीं समझ सकते और इसमें कोई बुराई नहीं है। आप उसे समझे बिना भी उसके लाभ उठा सकते हैं। मुझे नहीं पता कि आपमें से कितने लोगों ने अपनी कार का बोनट या अपनी मोटरसाइकिल का इंजिन खोलकर देखा है कि वह कैसे काम करता है। आप उसके बारे में कुछ भी नहीं जानते, मगर फिर भी आपको उसका फायदा मिलता है।
जब एकेश्वरवादी धर्म अपना दायरा फैलाने लगे, तो उन्होंने एक संगठित तरीके से स्त्री-शक्ति की पूजा की इस संस्कृति को उखाडऩा शुरू कर दिया। उन्होंने सभी देवी मंदिरों को तोड़ कर मिट्टी में मिला दिया।
दुनिया में हर कहीं पूजा का सबसे बुनियादी रूप देवी पूजा या कहें स्त्री शक्ति की पूजा ही रही है। भारत इकलौती ऐसी संस्कृति है जिसने अब भी उसे संभाल कर रखा है। हालांकि हम शिव की चर्चा ज्यादा करते हैं, मगर हर गांव में एक देवी मंदिर जरूर होता है। और यही एक संस्कृति है जहां आपको अपनी देवी बनाने की आजादी दी गई थी। इसलिए आप स्थानीय जरूरतों के मुताबिक अपनी जरूरतों के हिसाब से अपनी देवी बना सकते थे। प्राण-प्रतिष्ठा का विज्ञान इतना व्यापक था, कि यह मान लिया जाता था कि हर गांव में कम से कम एक व्यक्ति ऐसा होगा जो ऐसी चीजें करना जानता हो और वह उस स्थान के लिए जरूरी ऊर्जा उत्पन्न करेगा। फिर लोग उसका अनुभव कर सकते हैं।
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