ऑफिस और कारोबार में कई वजहों से तनाव पैदा हो सकता है। कैसे मुक्त हो सकते हैं इस तनाव से? क्या कोई सरल योग का अभ्यास तनाव मुक्ति में मदद कर सकता है?

प्रश्न: किसी मैनेजर या उद्योग‍पति की सबसे मुख्य समस्या या कहें दबाव होता है – सहकर्मियों के साथ रिश्तों को संभालने का। दरअसल, कई उद्योगपति ऐसे हैं जो अपने मित्रों और परिवार के साथ ही कारोबार की शुरुआत करते हैं। अपना उद्योग खड़ा करते समय वे बहुत तनाव और चिंता से गुजरते हैं, खास कर जब उनका कारोबार अच्छा चल रहा होता है। समाज की उम्मीदों का बोझ काफी भारी हो सकता है, चाहे वे उम्मीदें परिवार की हो, मित्रों की या फिर मीडिया की। आप उन उद्यमियों को क्या सलाह देना चाहेंगे, जिन्हें एक ओर रिश्तों में संतुलन का ख्याल रखना पड़ता है और दूसरी ओर अपने कारोबार को ठीक से चलाने पर भी ध्यान देना पड़ता है?

सद्‌गुरुसद्‌गुरु: एक उद्यमी को यह समझना चाहिए कि उद्यमि होने का मतलब क्या है। उद्यमि या उद्योगपति एक ऐसा व्यक्ति होता है, जिसने अपने जीवन में अपना मनपसंद काम करने का फैसला किया है। जब आप अपने जीवन के साथ वह करते हैं, जो आप वाकई करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात होती है। मगर धीरे-धीरे, आप भूल जाते हैं कि आप वह कर रहे हैं, जो आप करना चाहते हैं। आप किसी और की उम्मीदों के लिए काम करना शुरू कर देते हैं। यह सही तरीका नहीं है। उद्यमी होने का मतलब यह है कि आप अपना मनपसंद काम कर रहे हैं और आपको पूरे जीवन वही करते रहना चाहिए। कोई कारोबार कितना बड़ा है, सिर्फ इसी से कामयाबी तय नहीं होती।

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नाड़ी शुद्धि से हम इड़ा और पिंगला को शुद्ध करते हैं, जिससे ऊर्जा शरीर संतुलन में काम कर सके। मानसिक ढाँचे और सांसों में एक सम्बन्ध होता है।  
आप जो हैं, उसकी पूर्ण अभिव्यक्ति, आपकी क्षमताओं और आपकी काबिलियत को भी कामयाबी का पैमाना माना जाना चाहिए। अगर कोई इंसान जो वह वास्तव में है, उसकी पूर्ण अभिव्यक्ति पा लेता है, तो उसे कामयाबी जरूर मिलेगी। अगर आप बिल्कुल अलग क्षेत्र या विषय में काम करने वाले किसी इंसान से अपनी तुलना करते हैं, और संख्याओं को मिलाते हैं, तो वे संख्याएं भले ही बड़ी हों, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। जीवन के अपने क्षेत्र में, पूर्ण अभिव्यक्ति पाना ही कामयाबी है।

उद्यमी होने का मतलब यह है कि आप अपना मनपसंद काम कर रहे हैं और आपको पूरे जीवन वही करते रहना चाहिए। इसलिए अगर आप जो काम कर रहे हैं, उसके द्वारा अपनी पूर्ण अभिव्यक्ति पाने में सफल हैं, और सबसे बढ़कर, अपनी हस्ती को साबित करते हैं, तो अपने प्रतिद्वंदियों, मीडिया, इसके और उसके दबाव में आने की कोई जरूरत नहीं है। एक उद्यमी वह काम करता है, जिसकी वह परवाह करता है, जो वह करना चाहता है। इसलिए, वह काम उसके लिए मायने रखता है। उसका काम महत्वपूर्ण है। एक बार जब आपका काम महत्वपूर्ण बन जाता है, तो आपको अपने ऊपर मेहनत करनी चाहिए। इस पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जाता।

कोई कारोबार चलाने का मतलब मुख्य रूप से यह है कि आप हजारों मन को संभाल रहे हैं। अगर आप अपने मन को नहीं संभाल सकते, तो आप उनके मन को कैसे संभाल पाएंगे? अगर आप अपने मन को संभाल सकते हैं, तो दबाव का सवाल कहां उठता है? तनाव का सवाल ही कहां है? ऐसी कोई चीज नहीं होती। काम अपने आप में दबाव या तनाव नहीं है।

उद्यमि या उद्योगपति एक ऐसा व्यक्ति होता है, जिसने अपने जीवन में अपना मनपसंद काम करने का फैसला किया है। जब आप अपने जीवन के साथ वह करते हैं, जो आप वाकई करना चाहते हैं, तो यह आपके लिए सबसे बड़ी खुशी की बात होती है।  
अपने आप को संभालने में आपकी अयोग्यता ही तनाव है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि उनकी नौकरी, उनका परिवार, उनके जीवन के हालात, टैक्स और भुगतान न हुए बिल ही तनाव के कारण हैं। मगर मुख्य रूप से तनाव अपने ही सिस्टम – अपने शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा को संभाल पाने में आपकी अयोग्यता है।

तनाव किसी मशीन में घर्षण या रगड़ की तरह होता है। दूसरे तरीके से कहें, तो सिस्टम में पर्याप्त चिकनाई की कमी हो जाती है, जिससे वह आराम से और आसानी से नहीं चल पाता। हर किसी के जीवन में कई तरह की स्थितियां पैदा होती हैं, मगर हर इंसान उन्हें अलग-अलग तरीके से संभालता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उसका अपना सिस्टम अपने भीतर कितनी सहजता से काम करता है। अगर आप इस इंसानी तंत्र को संभालना सीख गए, तो तनाव होगा ही नहीं। आप दुनिया में कितने कामयाब हैं, यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि आपका अपना तंत्र टकराव या घर्षण से कितना मुक्त है। आप सरल अभ्यासों से अपने सिस्टम को घर्षण-मुक्त अवस्था में ला सकते हैं। योग विज्ञान आपको एक तनाव मुक्त जीवन जीने के साधन देता है।

नाड़ि शुद्धि का मतलब है नाड़ियों को साफ़ करना। यहां हम 72, 000 नाड़ियों की बात नहीं कर रहे। ये 72, 000 सिर्फ दो मुख्य नाड़ियों इड़ा और पिंगला से निकलती हैं। इनमें से इड़ा बायीं या फिर स्त्री गुण से सम्बंधित ऊर्जा का प्रवाह है, और पिंगला दायां या फिर पुरुष गुण से सम्बंधित ऊर्जा का प्रवाह है। ये एक मनुष्य के भीतरी आयाम का शरीर विज्ञान है।

नाड़ी शुद्धि से हम इड़ा और पिंगला को शुद्ध करते हैं, जिससे ऊर्जा शरीर संतुलन में काम कर सके। मानसिक ढाँचे और सांसों में एक सम्बन्ध होता है। अगर आप अपने काम, अपनी भावनाओं, और अपने जीवन और दूसरों के जीवन पर अपनी तरफ से होने वाले प्रभावों को संतुलित करना चाहते हैं, तो अपने विचारों में संतुलन लाना बहुत जरुरी है।