लोग सफल होकर भी तनाव क्यों झेल रहे हैं?
जब सफलता पाकर भी केवल तनाव, परेशानी और थकान ही हाथ आए॰॰॰ तब क्या करें? ‘द वीक’ के साथ हुए इस साक्षात्कार में, सद्गुरु भौतिक लाभ से परे, एक सार्थक जीवन को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं।
प्रश्न: सद्गुरु, आपके अनुसार एक सार्थक जीवन का क्या मतलब है? एक इंसान अपने जीवन को सार्थक कैसे बना सकता है?
सद्गुरु: हम जो भी करते हैं, वह किसी न किसी रूप में, दूसरे इंसान के जीवन में योगदान दे रहा है। अगर आप यह देखें कि कैसे आप सचेतन तरीक़े से अपने काम के ज़रिए सबके जीवन में कुछ योगदान दे सकें, तो आपका जीवन पूरी तरह से बदल जाएगा। योगदान देने का मतलब यह नहीं होगा कि आपको अपने कारोबार से मुनाफा नहीं होगा। अगर आप लगातार यह देखें कि आप अपने आसपास के लोगों के लिए सबसे बेहतर क्या कर सकते हैं तो लाभ अपने-आप होगा - आपको इसकी चिंता नहीं करनी होगी।
सिर्फ योगदान देकर मिलेगा एक सुखद अनुभव
योगदान देने से मतलब धन या किसी तरह का लाभ देना नहीं है - यह आपके जीवन की बुनियादी इच्छाशक्ति(संकल्प) है। अगर आप अपने जीवन को ऐसे सहयोग में बदल देंगे, तो आपका जीवन सही मायनों में सार्थक होगा क्योंकि आप वह रच रहे हैं, जिसकी आपको परवाह है। अगर आप ऐसा कर रहे हैं तो आपके लिए हर दिन अपने काम पर जाना आनंददायक होगा। ऐसे में आप कभी तनाव की वजह से नहीं मरेंगे, मेरा यक़ीन करें। हो सकता है कि आप काम से थककर मार जाएँ, लेकिन आप तनाव से कभी नहीं मरेंगे। यह बहुत अच्छी बात है।
जिस क्षण में आप देखते हैं कि दूसरों के जीवन में कैसे योगदान करना है, उसी क्षण से आपके भीतर एक तरह का सुखद अनुभव पैदा होगा। आपका मन और शरीर बेहतर तरीके से काम करने लगेंगे। इसे साबित करने के लिए हमारे पास अच्छे-खासे वैज्ञानिक और मेडिकल प्रमाण भी मौजूद हैं। अगर आपका मन और शरीर सही तरह से काम नहीं कर रहा, तो क्या आपको लगता है कि इस तरह सफलता हाथ आएगी? जब आप बेहतर नतीजे पाने के लिए अपने हुनर को पूरी तरह से निखार देते हैं, तब सफलता आपके हाथ आती है। अगर आप ऐसा चाहते हैं तो आपके लिए सुखद अनुभव में रहना आवश्यक है। तब आप जितना अधिक करेंगे, उतना ही बेहतर महसूस करेंगे। आपके साथ ऐसा तभी संभव है जब आप हमेशा अपने आसपास के लोगों के लिए कोई न कोई योगदान करेंगे।
जीवन का उद्देश्य क्या है?
प्रश्न: हम यहाँ क्यों हैं? आपके अनुसार हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है?
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सद्गुरु: अगर आप सही मायनों में परमानंद को महसूस करते तो क्या आप जीवन के उद्देश्य के बारे में बात करते। आप यह सवाल इसलिए कर रहे हैं क्योंकि कहीं न कहीं आपके जीवन का अनुभव बहुत अच्छा नहीं है। अधिकतर इंसान विचारों, भावों, मतों तथा पूर्वाग्रहों का पुलिंदा बन कर रह गए हैं। इसका अर्थ है कि आपका मनोवैज्ञानिक ड्रामा आपके जीवन पर क़ब्ज़ा कर रहा है। अधिकतर समय, आप जीवन को जीने की बजाए उसके बारे में सोचते रहते हैं। आप जीवन जीने के लिए यहाँ आए हैं, उसके बारे में सोचने के लिए नहीं।
अपने लिए हर तरह के जीवन के उद्देश्य तलाशने की कोशिश न करें। अगर आपने जीवन की प्रकृति की तलाश की तो आप पाएँगे कि जीवन को किसी उद्देश्य की जरूरत ही नहीं है - यह अपने-आप में असाधारण है। अगर आपने इसे भरपूर तरीके से जीया है, तो यह जीवन ख़ुद ही एक उद्देश्य है।
सफलता के शिखर पर लोग क्यों हैं तनाव का शिकार?
प्रश्न: हम अक्सर ऐसे लोगों के बारे में सुनते हैं जिन्होंने सफलता के शिखर पर जाने के बाद आत्महत्या कर ली। आधुनिक जीवन इतना तनावपूर्ण क्यों है?
सद्गुरु: हम अक्सर सफलता को इसी रूप में लेते हैं कि हम क्या कर सकते हैं और दुनिया में हमारी क्या हैसियत है। मैंने अक्सर देखा है कि सफल लोग, असफल लोगों की तुलना में कहीं अधिक तनावग्रस्त और पीड़ित होते हैं। सफलता का मतलब यही लिया जाता है कि आप एक ऊँचे स्थान पर हैं। अगर कोई उस जगह बैठने का अधिकारी न हो तो सफलता उसे मार डालती है। अगर लोग सामाजिक चलन, शैक्षिक योग्यता या पारिवारिक पृष्ठभूमि की वजह से सफल हुए हों तो उन्हें हमेशा कष्ट का सामना करना होगा। अगर आप इस स्थान का आनंद लेना चाहते हैं तो यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सफलता के लिए हालात की इंजिनीरिंग करने से पहले, ख़ुद की इंजिनीरिंग की जाए।
लोगों के तनाव और कष्ट का सफलता या असफलता से कोई लेना-देना नहीं है। आप जो काम कर रहे हैं, उसकी वजह से तनाव नहीं हो रहा। तनाव इसलिए है क्योंकि आपने अपने मन और शरीर को बुनियादी रूप से संभालना नहीं सीखा। हर मानवीय अनुभव का एक रसायनिक आधार भी होता है। आप इसे तनाव, चिंता, आनंद, परमानंद आदि कोई भी नाम दे सकते हैं, लेकिन हर अनुभव का एक रसायनिक आधार होता है। जिस तरह बाहरी कल्याण के लिए एक विज्ञान है, उसी तरह आपकी आंतरिक रसायनिक संरचना को संभालने के लिए भी पूरा विज्ञान हे। योग में ऐसे अनेक तरीके हैं जिनसे आप सही तरह का रसायन पैदा कर सकते हैं ताकि आपको सहज भाव से शांति व आनंद मिल सके।
खुद पर काम करना होगा
प्रश्न: मनुष्य को कई बार अस्तित्व संबंधी संकट का अनुभव क्यों होता है, हम इसका सामना कैसे कर सकते हैं?
सद्गुरु: लोगों के जीवन में हर चीज ही एक संकट हो गया है। किशोर अवस्था एक संकट है, कैरियर की खोज एक परेशानी है, जीवन की अधेड़ आयु परेशानी है, बुढ़ापा एक परेशानी है तो वे परेशानी में कब नहीं होते? वे थोड़ी सी भी परेशानी की आहट पाते ही घबरा कर डर जाते हैं। परंतु यदि आप सही मायनों में परेशानी में घिरे हों तो उस समय तो आपको सबसे बेहतर प्रदर्शन करना चाहिए, जबकि अधिकतर लोग उन्हीं क्षणों में हार मान लेते हैं।
यदि कोई व्यक्ति अपने पर कुछ निश्चित समय लगाना चाहे तो वह आसानी से इस आयाम से परे जा सकता है। अगर आपको लगता है कि आप जो कर रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है तो सबसे पहले आपको ख़ुद पर काम करना होगा। ऐसे अनेक उपाय मौजूद हैं जिनके माध्यम से हर मनुष्य ऐसा कर सकता है। आप अपने भीतर काम करने वाली बुनियादी जीवन शक्ति में सुधार ला सकते हैं - इसके लिए एक पूरी तकनीक और विज्ञान उपलब्ध है।