सद्‌गुरु: मैं जानता हूँ कि किसी उद्यमी के लिए पैसा बहुत मायने रखता है, पर आपके पास पैसा केवल इसलिए नहीं आता कि आप उसे पाना चाहते हैं। यह आपके पास तब आता है जब आप कुछ अच्छे से करते हैं। अगर आप केवल पैसे के बारे में सोचते हैं, तो मेरे हिसाब से, प्रक्रिया की बजाए केवल नतीजे में आपकी रुचि है। जो लोग प्रक्रिया की बजाए केवल नतीजों में रुचि लेंगे, वे केवल उसके सपने देखेंगे और उसे पूरा नहीं कर पाएंगे।

पैसे कमाने से कुछ रचना ज्यादा जरुरी है

आप कितना पैसा कमाना चाहते हैं, इस बारे में लगातार सोचने की बजाए, अगर आप यह देखें कि आप क्या बनाना चाहते हैं और अगर आपकी रचना सही मायनों में अच्छी हुई, तो पैसा अपने-आप आएगा।

अगर आप आधुनिक सफल व्यवसायियों को देखें जैसे नारायण मूर्ति आदि, तो इन लोगों ने कभी पैसे की परवाह नहीं की। वे कुछ रचना चाहते थे।
अपने जीवन के अंत में, आप अपने साथ कुछ नहीं ले जा सकते। केवल यही बात मायने रखेगी कि आपने क्या रचा। अगर आप आधुनिक सफल व्यवसायियों को देखें जैसे नारायण मूर्ति आदि, तो इन लोगों ने कभी पैसे की परवाह नहीं की। वे कुछ रचना चाहते थे। उन्होंने कुछ ऐसा रचा, जो सबके लिए उपयोगी था इसलिए पैसा सहज भाव से खुद ही आने लगा। सबसे जरुरी ये है, कि अगर आप कुछ ऐसा रच रहे हैं जिसे आप मूल्यवान समझते हैं, अगर आप कुछ ऐसा रच रहे हैं जो सभी के लिए उपयोगी हो सकता है, तो आपको उसे रचने का भरपूर आनंद आएगा।

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एक उद्यमी केवल इसलिए उद्यमी बनता है क्योंकि वह कुछ ऐसा रचना चाहता है जो उसके हिसाब से होना चाहिए। अगर आप कुछ बनाना चाहते हैं, तो पैसा उसका एक अंग है। पैसे बिना कोई काम ठीक से नहीं हो सकता। तो पैसा, आपके काम को पूरा करने की सामग्री मात्र है। जिस तरह बाकी सामानों के लिए मैनेजर होते हैं, उसी तरह आपको पैसों के लिए मैनेजर की जरुरत है।

बड़े उद्यमियों के काम करने का तरीका

आप कितना धन कमाते हैं, यह समय पर निर्भर करेगा। वर्तमान की सफल गाथाएँ जैसे इंफोसिस आदि, इतिहास के एक निश्चित समय से जुड़ी हैं।

इंफोसिस को शुरु करते हुए, जब उन्होंने अपने लिए साझेदार चुने, जो किसी भी कारोबार का अहम हिस्सा होते हैं - तो वे सभी छह लोग उनसे आयु में बहुत छोटे थे। 
एक निश्चित समय में, निश्चित तकनीकों और बदलावों ने, उन चीजों को संभव होने में मदद की। इसलिए आपको उन्हीं चीजों के लिए कोशिश नहीं करनी चाहिए। आपको देखना है कि वह क्या चीज है जिसे आप बनाना चाहते हैं, आप लोगों के जीवन में किस तरह का योगदान करना चाहते हैं। अगर आप वास्तव में लोगों के जीवन में एक बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं, तो आपको पैसा गिनने की क्या जरूरत है? यह तो अपने-आप ही आपके पास आएगा।

कुछ समय पहले, नारायण मूर्ति हमारे साथ एक कांफ्रेंस में थे और अपने अनुभव बाँट रहे थे। उन्होंने एक छोटे उद्यमी के तौर पर काम आरंभ किया और आज उनका नाम सारे संसार में बहुत सम्मान से लिया जाता है। इंफोसिस को शुरु करते हुए, जब उन्होंने अपने लिए साझेदार चुने, जो किसी भी कारोबार का अहम हिस्सा होते हैं - तो वे सभी छह लोग उनसे आयु में बहुत छोटे थे। लेकिन जब उन्होंने उन्हें अपना साझेदार बनाया तो सबको लगभग अपने बराबर का ही हिस्सा दिया।

लोगों ने उन्हें क्रेजी(पागल) कहा। अधिकतर साझेदारों को सॉफ्टवेर उद्योग का सिर्फ एक साल का अनुभव था, फिर भी वे उन्हें अपनी कंपनी में इतना हिस्सा दे रहे थे। उनका कहना था, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि मैं यह सब पैसे के लिए नहीं कर रहा, मैं बस उनकी सौ प्रतिशत भागीदारी चाहता हूँ। उन्हें इस काम की सफलता के सिवा कुछ नहीं सूझना चाहिए।’ और उनके लिए, यह फायदे का सौदा रहा, क्योंकि अकेले पांच करोड़ का सौ प्रतिशत रखने की बजाए पचास हजार करोड़ का पंद्रह प्रतिशत रखना कहीं बेहतर है।

खुद से बड़ा कुछ रचने की प्रेरणा

सबसे बड़ी बात - यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जो लोग हमारे साथ काम कर रहे हों, वे भी उस काम को सफल बनाने में जी-जान लगा दें।

यह केवल जीविका कमाने की बात नहीं है, यह अपने काम से अपना जीवन बनाने और रचने वाली बात है।
 जब तक सबका पूरा सहयोग नहीं होगा, तब तक कुछ बड़ा सामने नहीं आएगा। अगर आप यह सोच कर चलें, ‘मैं तो केवल आठ घंटे काम करूँगा।’ तो केवल इतना काम करने से एक उद्यम खड़ा नहीं होगा। एक उद्यमी को इसे जीना पड़ता है। यह केवल जीविका कमाने की बात नहीं है, यह अपने काम से अपना जीवन बनाने और रचने वाली बात है। एक उद्यमी अपने भीतर से इतना प्रेरित होता है कि उसे किसी बाहरी प्रेरणा की जरूरत नहीं होती। वह खुद अपनी सीमाओं तक सौ प्रतिशत तक जाकर कुछ करने के लिए तैयार होता है। अगर ऐसा हो सके, तो बुनियादी प्रेरणा यही होती है, कि अपने से भी कहीं बड़ा कुछ रचा जाए। धन तो केवल एक नतीजा भर है।