साधना को असरदार बनाने के लिए इन बातों पर ध्यान दें
इस बार के स्पॉट में सद्गुरु बता रहे हैं कि जो साधना आप कर रहे हैं, उसे असरदार बनाने के लिए क्या करना जरुरी है। वे बता रहे हैं कि शाम्भवी दीक्षा एक बीज की तरह है, पर उसके विकसित होने के लिए सही वातावरण जरुरी है।
मैं जब भी ईशा के आयोजनों और कार्यक्रमों में जाता हूं तो मुझे यह देखकर बेहद खुशी होती है कि लोग चीजों को साकार करने के लिए अपनी सीमाओं से परे जा रहे हैं। जो लोग अपनी ही बनाई हुई सीमाओं को नहीं तोड़ते, वे उसी में फंसे रह जाते हैं। अपनी सीमाओं को तोड़ना आपकी अपनी आध्यात्मिक प्रगति का एक जरूरी हिस्सा है। यह आध्यात्मिक प्रक्रिया किसी ग्रंथ, पुराण, दर्शन या मृत परंपराओं पर आधारित नहीं है, यह एक जीवंत चीज है। आपको इसे रोजमर्रा के जीवन में जीना होगा। मैं नहीं चाहता कि आप रोजमर्रा के हालात में फंसे होने के कारण या दूसरे लोगों से हुई किसी समस्या के चलते इस संभावना से चूक जाएं। अगर आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी प्रगति का लगातार लेखाजोखा रखें। आप रोज यह काम नहीं कर सकते तो कम से कम हफ्ते या महीने में एक बार ऐसा जरूर करें। अपने आप से पूछें, ‘क्या मैं पहले से बेहतर हो रहा हूं? क्या मैं पहले से ज्यादा आनंदमय हुआ हूं? कल मैं जैसा हुआ करता था, उससे थोड़ा बेहतर हुआ हूं?’
आपके भीतर कोई आपको कुछ नहीं कर सकता
लोग अपने पैसों का लेखा-जोखा अच्छी तरह रखते हैं। जबकि पैसा सिर्फ आदान प्रदान का एक साधन भर है, इसे आप मरते समय अपने साथ नहीं ले जा सकते। आपके पास सबसे बहुमूल्य चीज यह है कि आप जीवित हैं।
दूसरों द्वारा दी गयी हर चीज़ से मिठास बनाएं
एक दिन एक बूढ़ा गधा अपने रास्ते से जा रहा था कि तभी उसका पांव फिसला और वह एक कुंए में जा गिरा। हालांकि कुआं सूखा था और बहुत ज्यादा गहरा नहीं था, फिर भी गधा उस कुंए से बाहर नहीं निकल पा रहा था।
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई आप पर क्या फेंकता है, लेकिन आप उस फेंकी गई चीज से क्या सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं, यही आध्यात्मिक प्रक्रिया है। एक आम का पेड़, जिसके पास आप जैसा दिमाग नहीं होता, वह भी मिट्टी को आम और मिठास में बदल देता है। पौधे गंदगी से फूल और सुगंध बना सकते हैं। आपको भी इतना सक्षम होना चाहिए कि आपकी राह में जो भी आए, आप उससे कुछ सुंदर बना सकें। अगर आप यह करने में सफल होते हैं तो उससे यह झलकता है कि आप कौन हैं। इस धरती पर सबसे बड़ी समस्या यह है कि अगर कोई छोटी सी चीज गड़बड़ हो जाती है तो लोग इसके लिए ‘छोटे शख्स’ यानी किसी दूसरे को दोष देते हैं। अगर उनके जीवन में कोई बड़ी चीज गड़बड़ होती है तो सब वे उसके लिए ‘बड़े शख्स’ यानी भगवान को दोष देते हैं। वे खुद किसी भी चीज के लिए जिम्मेदार नहीं होना चाहते। अब वक्त आ गया है कि हम दोषारोपण करना या दूसरों को ठीक करने की कोशिश करना बंद करें। इसकी बजाय आपको अपनी पूरी क्षमता तक विकसित होना चाहिए।
शाम्भवी दीक्षा के बीज को उगाना होगा
जिज्ञासा या तलाश एक ऐसी चीज है, जो आपके भीतर ही घटित हो सकती है, उसे बाहरी दुनिया में ढूँढना बेवकूफी है। शांति या खुशी को पाने के लिए लोग ऊपर की ओर देख रहे हैं। कल्याण और बेहतरी के लिए वे पूरी दुनिया की ओर देख रहे हैं।
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अपने मन में भरे इन अवरोधों या नकारात्मक चीजों को हटाने का एक रास्ता है कि आप गप्प करना करना छोड़ दें। कन्नड़ में एक कहावत है कि अगर कोई इंसान कोई दुष्कर्म करता है तो जो लोग उस कर्म या इंसान के बारे में बात करते हैं, उन्हें भी इसका असर मिलता है। हो सकता है कि जिसने यह बुरा काम किया हो, वह उसके बारे में भूल गया हो। लेकिन जो लोग लगातार इस बारे में बात करते हैं, उसका उन पर इसलिए असर होता है कि यह चीज उनके दिमाग में भरी रहती है। जब आप दूसरों के साथ रह रहे हों या काम कर रहे हों तो ये आसान सी चीजें याद रखनी चाहिए।
बातें करने से जुड़े तीन नियम
आपने महान दार्शनिक सुकरात के जीवन से जुड़ी यह कहानी शायद सुनी होगी। सुकरात अपने जीवन काल में भी बेहद बुद्धिमान माने जाते थे। एक दिन एक व्यक्ति उनके पास आया और कहने लगा, ‘मैं आपको डियोजेनेस के बारे में कुछ बताना चाहता हूं।’
आप भी अपने मन में इन तीन छन्नियों को लगाएं। अगर कोई व्यक्ति आपको कुछ बताना चाहता है, तो क्या उसने अच्छी तरह से यह देख लिया है कि बात बिल्कुल सच है? क्या यह किसी व्यक्ति के बारे में कोई अच्छी बात है? क्या इस बात की कोई उपयोगिता है? अगर कोई भी आपको कुछ बताना चाहता है या आप किसी और को कुछ बताना चाहते हैं तो आप उसमें से ऐसी सारी बातों को छानकर बाहर कर दें, जो इन तीन मापदंडों पर फिट नहीं बैठतीं। तब आपके दिमाग में उपयोगी, प्रभावशाली और आध्यात्मिक चीजों को करने के लिए पर्याप्त जगह होगी। अगर आप अपने मन-मस्तिष्क में बिना छाने सूचनाओं को भरने देंगे तो आप हमेशा बेकार की चीजों में उलझे रहेंगे, भले ही यह कचरा औरों द्वारा आपके मन में भरा गया हो या आपने खुद जमा किया हो। आपको दूसरों की समस्याओं के बारे में जानकर या उनके बारे में निंदा या चुगली कर कभी उसका आनंद नहीं लेना चाहिए। आप चाहें तो अपने लिए यह नियम बना सकते हैं कि जब तक कोई व्यक्ति आपके सामने नहीं होगा, आप उसके बारे में किसी तरह की कोई बात नहीं करेंगे।
लगन और तीव्रता लाने से क्षमताएं बढ़ती ही जाएगी
आप अपना समय दूसरों द्वारा की गई या कहीं गई बातों के बारे में सोच-सोच कर खराब मत कीजिए। आपमें से ज्यादातर लोग इस मानसिक स्थिति में नहीं हैं कि जहां अगर वे अपनी आंखें बंद कर लें तो दुनिया उनके अनुभव से गायब हो जाए।
एक दिन एक जवान चरवाहा अपनी गाएं चराने जंगल में गया। जंगल में उसकी एक गाय ने एक बछड़े का जन्म दिया। उसने पहली बार अपने सामने गाय को बच्चा देते देखा था। अचानक उसके सामने एक जीवन का छोटा सा अंश धड़कने लगा, उसे यह सब चमत्कार सा लगा। बछड़े को देखते ही उसके मन में बेहद प्यार और करुणा उमड़ आई। उसने बछड़े को उठाकर गले से लगा लिया। चूंकि बछड़ा चल फिर नहीं सकता था, इसलिए वह उसे अपने कंधे पर उठाकर घर लाया। अगले दिन जब वह अपनी गायों को चराने के लिए जंगल लेकर चला तो उसने फिर से बछड़े को उठाकर कंधे पर लाद लिया और जंगल की ओर चल दिया। फिर तो रोज वह ऐसा ही करने लगा। समय के साथ वह छोटा सा बछड़ा सा बड़ा बैल बन गया। जैसे उसका वजन बढ़ा, उस चरवाहे की ताकत भी बढ़ती गई। जब लोगों ने उसे एक भरे पूरे बैल को कंधे पर लादते देखा तो वे लोग उसके बारे में बात करने लगे। सभी को लगा कि वह बेहद ताकतवर सुपरमैन है। मैं भी ऐसे ही सुपरमैन व सुपरवुमन हर तरफ देखना चाहता हूं। आप जो भी कर सकते है, आपको उसकी कोई सीमा नहीं बांधनी चाहिए। आइए देखते हैं कि जिंदगी खुद कहां सीमा बांधती है। जो लोग अपने लिए सीमा तय कर लेते हैं, वे जिंदगी में कुछ बड़ा नहीं कर पाते।
लेटते ही गहरी नींद में डूबने की तैयारी
यह बेहद महत्वपूर्ण है कि आप अपने जीवन का उसके संपूर्ण रूप और हर संभावित तरीके से इस्तेमाल करें। यह जीवन बेहद छोटा है, फिर बेकार की चीजों पर अपना ध्यान क्यों लगाया जाए।
संपादक की टिप्पणी:
*कुछ योग प्रक्रियाएं जो आप कार्यक्रम में भाग ले कर सीख सकते हैं:
21 मिनट की शांभवी या सूर्य क्रिया
*सरल और असरदार ध्यान की प्रक्रियाएं जो आप घर बैठे सीख सकते हैं। ये प्रक्रियाएं निर्देशों सहित उपलब्ध है: