सद्गुरु की परदादी - जिन्हें शैतान की खाला माना जाता था
सद्गुरु अपनी परदादी के बारे में बताते हैं, जो 113 साल की उम्र तक जीवित रहीं और जिन्हें ‘शैतान की खाला’ कहा जाता था।
सद्गुरु : जब मैं बहुत छोटा था, तो मुझे मेरी परदादी से बहुत स्नेह था। वे 113 वर्ष की आयु तक जीवित रहीं और शैतान महिला के रूप में जानी जाती थीं। ऐसा नहीं कि उन्हें किसी के साथ कुछ बुरा करने की वजह से ऐसा नाम मिला था। दरअसल लोगों का कहना था कि वे किसी शैतान की तरह ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाती थीं।
वे 113 वर्ष की आयु तक जीवित रहीं और शैतान महिला के रूप में जानी जाती थीं। ऐसा नहीं कि उन्हें किसी के साथ कुछ बुरा करने की वजह से ऐसा नाम मिला था। दरअसल लोगों का कहना था कि वे किसी शैतान की तरह ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाती थीं।
अगर वे हँसतीं तो सारी सड़क गूँज उठती। उनकी पीढ़ी की औरतों से इस तरह खुल कर हँसने की अपेक्षा नहीं की जाती थी। उनसे उम्मीद की जाती कि वे अपनी हँसी को क़ाबू में रखेगीं। पर वे इस तरह खुल कर ठहाके लगातीं कि सारे शहर को पता चल जाता। तो उन्हें पुरुषों की तरह गला फाड़ कर हँसने की वजह से ही शैतान महिला का खि़ताब मिल गया था। वे कई तरह से, परिवार में थोड़ी अजीब और सनकी मानी जाती थीं क्योंकि वे हमेशा ऐसे काम करतीं, जो दूसरों को मूर्खतापूर्ण लगते। मैंने बहुत बाद में जा कर, उनके उन कामों की अहमियत को जाना। उस समय तो बस मुझे उनका हर काम पसंद था और मैं उनकी ओर गहरा खिंचाव महसूस करता।
जब मैं बहुत छोटा था, तो मैंने अपनी परदादी को कई अवस्थाओं में देखा है। मैं उनसे पूछता, ”आपके साथ क्या हो रहा है?“ वे खिलखिला कर हँसतीं और कहतीं, ”अरे, तुम एक दिन अपने-आप जान जाओगे,“ फिर वे ज़ोर-ज़ोर से ठहाके लगाने लगतीं।