माता-पिता द्वारा तय किया गया विवाह अच्छा है या बुरा?
क्या तय किया गया विवाह अब बस एक घिसी-पिटी परंपरा बन कर रह गया है जो आधुनिक समय के साथ बेमेल है? या फिर इस प्राचीन व्यवस्था में कोई बुद्धिमत्ता है, जिसका लाभ हमें आज भी मिल सकता है। यहाँ सद्गुरु से समझिये।
ये विचार कि तय किया हुआ विवाह एक प्रकार की गुलामी है - ये इस बात पर निर्भर करता है कि क्या उसमें किसी प्रकार का शोषण हो रहा है? शोषण करने वाले लोग हर जगह होते हैं। कई मामलों में माता-पिता भी शोषण करने वाले हो सकते हैं - वे अपनी निजी कारणों से ऐसा कुछ कर सकते हैं, जैसे उनकी प्रतिष्ठा, संपत्ति या कोई और बकवास!
अभी हाल ही में, किसी ने मुझसे उनके लड़के के लिये किसी लड़की को चुनने के बारे में बात की। एक लड़की अच्छी पढ़ी-लिखी है और सुंदर भी, पर दूसरी लड़की के पिता बहुत अमीर हैं। उन्होंने मुझसे पूछा कि उन्हें कौन सी लड़की चुननी चाहिये? मैने उस लड़के से एक सरल प्रश्न पूछा, "तुम किसी लड़की से शादी करना चाहते हो या किसी की संपत्ति से?" ये इस पर निर्भर करता है कि आपकी प्राथमिकता क्या है? अगर आपकी पहली इच्छा ये है कि शादी के साथ ही किसी की संपत्ति आपकी हो जाये और आपको बस यही चाहिये है, तो फिर ठीक है। आपने शायद इसी प्रकार के जीवन को चुना है।
तयशुदा विवाह और तलाक दर
किसी भी चीज़ की सफलता उसके परिणाम से मालूम होती है। लक्समबर्ग एक छोटा सा देश है जो आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा समृद्ध देशों में और सामाजिक रूप से सबसे ज्यादा मुक्त समाजों में गिना जाता है। वहाँ तलाक दर 87% है। स्पेन में ये 65% के करीब है, रूस में 51% और अमेरिका में 46% है। भारत में ये बस 1.5% है। अब आप ही बताइये, कौन सी व्यवस्था ज्यादा अच्छी तरह से चल रही है?
हाँ, लोग ये कह सकते हैं कि यहाँ तलाक दर बहुत कम है क्योंकि तलाक को एक सामाजिक दाग के रूप में देखा जाता है। पर निश्चित ही ये विवाह कैसे तय होता है ये भी एक महत्वपूर्ण बात है।
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जब माता पिता शादी तय करते हैं, तो सफलता की दर थोड़ी बेहतर होती है, क्योंकि वे लंबे समय के बारे में सोचते हैं। आप को शायद किसी लड़की के पहनावे का स्टाइल बहुत अच्छा लगे, तो आप उससे आज ही शादी करने को तैयार हो जायें। पर, कल सुबह आपको ऐसा लग सकता है कि उस लड़की से आप कोई भी मतलब नहीं रखना चाहते। अभी आप बीस साल के हैं तो आप किसी मजबूरी से या दोस्तों के दबाव में आ कर ऐसे निर्णय ले सकते हैं जो सारे जीवन भर नहीं चलेंगे। हाँ, ये भी ज़रूर हो सकता है कि किसी के साथ आप बहुत अच्छी तरह से जुड़ जायें और ये काम कर जाये - वो एक अलग बात है।
सब कुछ एक तय की गई व्यवस्था ही है। आप इसके बारे में बहुत सारी चीज़ें सोच सकते हैं पर ये किसी ना किसी वजह से तय ही होता है - आपकी भावनाओं से, लालच से, या किसी व्यक्ति द्वारा। यह एक तय की हुई व्यवस्था है। तो, अच्छा ये होगा कि इसे जिम्मेदार, समझदार लोग तय करें, वे लोग जो आपकी खुशहाली के बारे में सबसे ज्यादा चिंतित हैं और जिनकी पहुँच ज्यादा बड़ी है। आप दुनिया में सबसे अच्छा पुरुष या सबसे अच्छी स्त्री नहीं पा सकते क्योंकि हमें नहीं पता कि वे कहाँ हैं? अब, हमारे जो थोड़े से, सीमित संपर्क होते हैं तो उनकी सहायता से हम ऐसा कुछ तय कर सकते हैं जो हर तरह से ठीक-ठाक हो। बस यही सब है।
अगर कोई युवा पुरुष या स्त्री शादी करना चाहते हैं तो वे किसके साथ शादी करें? उनके संपर्क बहुत सीमित हैं। अपने जीवन में जिन 10 लोगों को वे जानते हैं, उनमें से किसी लड़के या लड़की से शादी कर लेते हैं। तीन महीनों में पता चल जाता है कि वे वास्तव में क्या हैं! पर ज्यादातर देशों में एक कानून है। अगर आप एक गलती करते हैं तो कम से कम दो साल तक आपको उसे सहन करना होगा और तब ही आप तलाक दे सकते हैं, जो एक तरह से जेल की सज़ा ही है। और हाँ, कुछ धर्मों ने नियम बना रखा है कि आप तलाक दे ही नहीं सकते, कि ये पूरी तरह से गलत है। पर, जहाँ ऐसे धर्म चलते हैं, वहाँ तलाक दर सबसे ज्यादा है। न तो भगवान का आदेश और न ही देश का कानून शादियों को टूटने से बचा पाता है।
जब माता-पिता अपने बच्चों की शादी तय करते हैं तो हो सकता है कि उनका फैसला सबसे अच्छा न भी हो, पर सामान्य रूप से उनके मन में आपके लिये जो सबसे अच्छा हो सकता है, वही वो करेंगे। हाँ, अगर आप अपने माता-पिता के फैसलों या पूर्वाग्रहों से ज्यादा परिपक्व हो चुके हों, तो आप अपने खुद के निर्णय ले सकते हैं।
अपनी शादी की जिम्मेदारी को संभालना
मैंने जब शादी की तो मुझे मेरी पत्नी का पूरा नाम पता नहीं था। मुझे उसके पिता का नाम मालूम नहीं था। मुझे उसकी जाति के बारे में भी जानकारी नहीं थी। जब मैंने अपने पिता से कहा कि मैं उससे शादी करना चाहता हूँ तो वे बोले, "क्या? तुम्हें उसके पिता का नाम नही मालूम? तुम नहीं जानते कि वे कौन लोग हैं और क्या हैं? तुम उससे शादी कैसे कर सकते हो"?
मैंने कहा, "मैं बस उससे शादी कर रहा हूँ, बाकी की जो चीज़ें हैं, मैं उनसे शादी नहीं कर रहा। सिर्फ वो! बस इतना ही है"। मैं इस बारे में बहुत स्पष्ट था कि वो क्या कर सकती है, उसके आने से मेरे जीवन में क्या होगा, और वह भी पहले ही पल से मुझसे प्यार करने लगी थी"। हालांकि मैंने अपने जीवन में कभी किसी से सलाह नहीं ली, अपने आप राय देने वाले लोग हमेशा होते ही हैं और उन्होंने कहा, "तुम अपने जीवन की सबसे बड़ी गलती कर रहे हो। ये एक भयानक विपत्ति होगी"। मैंने कहा, "जो भी होगा, वो चाहे जैसी भी हो, ये मुझ पर है कि मैं उसे सफल बनाऊँ या विपत्ति"। मुझे इतना तो मालूम ही था।
क्योंकि आप किससे शादी कर रहे हैं, कैसे कर रहे हैं, किस तरह से ये तय की गई है, ये सब महत्वपूर्ण नहीं है। आप कितनी जिम्मेदारी के साथ रहते हैं - वही सबकुछ है। आप अपनी शादी कैसे तय करते हैं, ये आपका चयन है। मैं नहीं कह रहा कि ये रास्ता सही है या वो। आप चाहे किसी भी तरह इसे करें, पर, कृपया इसे आनंदपूर्वक और जिम्मेदारी के साथ चलायें। आपको ये समझना चाहिये कि अपनी शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक, सामाजिक और दूसरी कई ज़रूरतों को पूरा करने के लिये आप दोनों साथ साथ आ रहे हैं। अगर आप हमेशा ये याद रखते हैं, "अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये मैं तुम्हारे साथ हूँ", तो आप इसे जिम्मेदारी के साथ निभायेंगे।
चाहे शुरुआत में आप इस तरह से चले, पर, कुछ समय बाद अगर आप ये सोचना शुरू कर दें कि सिर्फ उसको ही आपकी ज़रूरत है तो आप अपनी मनमर्जी करना शुरू कर देंगे, और फिर निश्चित ही जीवन में कई तरह से गन्दगियाँ आ जायेंगी।
एक बार ऐसा हुआ। एक युवक और युवती की सगाई हो गयी। जब उसकी उंगली पर अंगूठी पहनाई गयी तो युवती उससे बोली, "तुम अपने दुख, दर्द, संघर्ष मेरे साथ बाँट सकते हो। तुम्हें जो भी पीड़ा, तकलीफ हो, वो मुझसे साझा कर सकते हो"।
युवक बोला, "ठीक है पर मुझे कोई दर्द, संघर्ष या समस्या नहीं है"।
युवती ने तब कहा, "ऐसा है, अभी हम शादीशुदा नहीं हैं न"।
अगर आपको लगता है कि आपको बहुत सारे दर्द हैं, संघर्ष हैं, आपके पास बहुत सारी समस्यायें हैं और आप बस किसी को ढूँढ रहे हैं जिसपर आप निर्भर हो सकें, तो मुसीबत ही आयेगी। आप जानते हैं कि हमेशा से कहा जाता है कि शादियाँ स्वर्ग में तय होती हैं। पर, आप तो अपने अंदर नर्क बना रहे हैं। अगर आपको लगता है कि कोई दूसरा आकर आपकी समस्यायें ठीक करेगा तो फिर आपके लिये मुसीबत ही होगी, और दूसरे के लिये भी ये परिणाम दुर्भाग्यशाली ही होंगे। आप अगर अपने आपको एक आनंदपूर्ण, अद्भुत मनुष्य बना लेते हैं तो आप देखेंगे कि आपका कामकाज, आपका घर और आपकी शादी, सभी अद्भुत होंगे। सबकुछ अद्भुत होगा, क्योंकि आप वैसे हैं।