जीवन में सफलता और असफलता कितनी मायने रखती हैं?
यहाँ सद्गुरु समझा रहे हैं कि समाज जिसे सफलता या असफलता कहता है, हमें उस से प्रभावित नहीं होना चाहिये। अगर हम अपने जीवन को एक बड़ी संभावना को हासिल करने की दिशा में एक क़दम बना लें, तो फिर असफलता नाम की कोई चीज़ रहेगी ही नहीं।
प्रश्न:हम असफलता के डर पर जीत कैसे हासिल करें?
सद्गुरु: असफलता जैसी कोई चीज़ नहीं है। ये बस एक विचार है, क्योंकि सफलता भी एक मूर्खता से भरा विचार ही है। दुनिया को बदलने की बजाय आप अपनी इस सोच को बदलिये। अगर आप बस वही बदल देते हैं तो सब कुछ बढ़िया हो जायेगा। अगर आप रास्ते पर भीख माँगने वाले एक भिखारी होते और आज किसी रेस्तरां में जाकर डोसा खा सकते, तो आपके लिये ये सफलता का शिखर होता, है कि नहीं?
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आपके सभी विचार, सोच, भावना या मूल्य कहीं ना कहीं से उठाये हुए हैं, और ये आपके अंदर राज करते हैं। सफलता का यह विचार आपका अपना विचार है ही नहीं। सफलता क्या है, ये किसी और का विचार है। आपके धर्म, समाज और संस्कारों ने आपको ऐसा मानने के लिये प्रशिक्षित किया है। तो आप किसी दूसरे के विचारों के गुलाम न बनें - वह पहली और सबसे महत्त्वपूर्ण सफलता होगी। आपके जीवन में आ रहे पैसों की मात्रा आपकी सफलता या असफलता नहीं है। और आपको दुनिया में मिलने वाला मान-सम्मान भी आपकी सफलता या असफलता नहीं है। आप अपने जीवन में सफल होंगे अगर आप ये जान लें कि नर्क में भी आनंदपूर्ण ढंग से कैसे रहा जाता है।
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एक शुरुआती प्रयास
वह जो जीवन में होने वाली साधारण घटनाओं को ही जीवन का उद्देश्य मान लेता है, उसके लिये ही असफलता और सफलता के मायने होते हैं। वह जो इस जीवन को एक बड़ी संभावना को पाने की दिशा में एक शुरुआती क़दम के रूप में देखता है, उसके लिये असफलता जैसी कोई चीज़ ही नहीं है। आपके साथ कुछ अच्छा हुआ हो या कुछ खराब हुआ हो, जो भी परिस्थिति हो, वह उपयोगी है - आप इसको अपनी खुशहाली के लिये काम में लायें।
एक बार एक किसान था। वह बार-बार मौसम बदलने की वजह से अपनी फसल ख़राब हो जाने को लेकर परेशान था। एक बार वह शिव के पास गया और बोला, "मैं इन सब कुदरती प्रकोपों से थक गया हूँ। एक बात साफ है कि आप किसान नहीं हैं। इसीलिये आपको ये नहीं पता कि खेती कैसे करते हैं? आप इस प्रकृति को मेरे हाथों में क्यों नहीं दे देते? मैं किसान हूँ, मैं जानता हूँ कि कब बरसात होनी चाहिये और कब सूरज की रोशनी चाहिये? मैं सब जानता हूँ। आप नहीं जानते क्योंकि आप बस एक शिकारी और मतवाले साधू हैं। निश्चित रूप से आप एक अच्छे किसान नहीं हैं। हर चीज़ गलत समय पर हो रही है। तो आप ये सब अब मुझ पर छोड़ दीजिये"।
शिव उस दिन अपने कुछ खास अंदाज़ में थे। वे बोले, "ठीक है, प्रकृति अब तुम्हारे हाथों में है"। फिर किसान ने अपनी फसल की योजना बनाई। वो जब कहता, "बरसात" तो बरसात हो जाती। वो ज़मीन में अपनी उंगलियाँ गाड़ कर देखता। "ठीक है, 6 इंच तक की ज़मीन पानी सोख चुकी है", फिर वो कहता, "रुक जाओ"। फिर उसने खेत जोता और मक्के के बीज बो कर दो दिन रुका। अब, "बरसात", फिर "सूरज की रोशनी"! एक बार वो खेत में काम कर रहा था, तो बोला, "बादल"। सब कुछ वैसा ही हुआ, जैसा वो चाहता था और फिर मक्के की बढ़िया फसल तैयार हो गयी। वो खुशी से फूला नहीं समाया।
जब फसल काटने का समय आया तो वह चाहता था कि कोई पक्षी वहाँ न आयें। उसको इस बात से ताज्जुब हुआ कि जब उसने कहा, "कोई पक्षी नहीं" तो कोई भी पक्षी वहाँ नहीं आया। फिर जब वो अपने खेत में फसल काटने गया और उसने फसल को देखा तो पौधों में कोई दाने ही नहीं थे। तब वो सोचने लगा, "ये क्या हो गया? मैंने क्या गलती की"? उसकी समझ में नहीं आया क्योंकि उसने तो हर चीज़ की सही ढंग से व्यवस्था की थी - बरसात, पानी, सूरज की रोशनी, सब कुछ!
अब वो शिव के पास गया और बोला, "मैंने सब कुछ सही किया पर फसल में अनाज का एक भी दाना नहीं है। क्या आपने मेरी फसल को नुकसान पहुँचाया"? शिव बोले, "मैं देख रहा था, तुम सब कुछ खुद ही संभाल रहे थे तो मैं बीच में नहीं आना चाहता था। बरसात अच्छी हुई, सूरज की रोशनी भी बढ़िया थी, सब कुछ सही था पर तुमने हवाओं को रोक दिया था। मैं तेज हवायें भेजता था, जो फसल के लिये खतरा होती हैं, हवा से ख़ुद को बचाने के लिये पौधे अपनी जड़ें ज़मीन में ज्यादा से ज़्यादा गहरे गाड़ते जाते हैं और उसी से अनाज के दाने आते हैं। इसीलिये अब तुम्हारे पास मक्के की फसल तो है पर उसमें मक्के के दाने नहीं हैं"!
एक ही उद्देश्य
जिस तरह मक्के की फसल ने तेज हवाओं का उपयोग अपने आपको मजबूत बनाने के लिये किया, आप भी अपने जीवन की सभी परिस्थितियों का उपयोग अपने आपको ज्यादा मजबूत और बेहतर बनाने के लिये कर सकते हैं, या फिर बैठ कर रो सकते हैं। आपके पास यही विकल्प हैं। हर चीज़, चाहे कुछ भी हो, आपके जीवन की सबसे भयानक घटना भी, आपके विकास और खुशहाली के लिये काम में लायी जा सकती है। आपके जीवन की छोटी-छोटी घटनायें, जैसे आपका कारोबार, आपकी शादी, आपके बच्चे - ये सब आगे बढ़ने में मदद करते हैं। और ये आपके लिये कोई नयी बात नहीं है। भारतीय संस्कृति में उन्होंने हज़ारों सालों से यही बात लोगों में भरी है। वे कहते हैं, "आपका जीवन बस मुक्ति पाने के लिये है। आपकी शादी, आपका कारोबार, आपका सामाजिक जीवन, ये सब बस वहाँ पहुँचने के साधन हैं। आप चाहे इनके साथ जायें या इनके बिना, आप चाहे संन्यासी हों या गृहस्थ, आपका उद्देश्य बस मुक्ति ही है।”