तीव्र यौन इच्छाओं से छुटकारा कैसे पायें?
सद्गुरु एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं, जिसकी चर्चा करना ही गलत समझा जाता है, पर जो आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिये बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है।
लेख:फरवरी 3, 2020.
प्रश्नकर्ता : मैं अपनी तीव्र यौन इच्छाओं से छुटकारा कैसे पाऊँ?
सद्गुरु : हम लोग, हमेशा, किसी न किसी बात से छुटकारा पाने के बारे में ही सोचते रहते हैं। आप ज़बरदस्ती किसी चीज़ से छुटकारा नहीं पा सकते। आप अगर किसी चीज़ को बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश करते हैं तो ये कहीं न कहीं से फिर उठ खड़ी हो जायेगी, और आप में कोई अन्य विकृति पैदा हो जायेगी। अगर आप इसे छोड़ देने का प्रयत्न करेंगे, तो ये आप के मन एवं चैतन्य पर पूरी तरह से शासन करेगी। पर यदि आप अभी जो कुछ भी जानते हैं, उससे अधिक गहरी चीज़ पा लें, तो वह सब जो कम महत्वपूर्ण है, अपने आप गिर जायेगा। क्या आप को मालूम है कि वे लोग, जो किसी बुद्धिजीवी गतिविधि में संलग्न रहते हैं, वे यौन संबंध बनाने की अपेक्षा कोई पुस्तक पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं!Subscribe
आप यौन संबंधों के पीछे इसलिये दौड़ते हैं, क्योंकि इस समय आप के लिए वही सबसे बड़ा सुख है। अगर कोई आप से कहे, "ये खराब है, इसे छोड़ दो", तो क्या आप इसे छोड़ देंगे ? पर अगर आप को उससे बड़ी, किसी चीज़ का स्वाद मिल जाये तो फिर क्या किसी को आप से यह कहने की ज़रूरत होगी कि इसे छोड़ दो? ये अपने आप छूट जायेगा। अतः आप को, कुछ अधिक आवश्यक कार्य करने में, थोड़ा समय लगाना होगा जिससे एक ज्यादा बड़ी संभावना आप के लिये एक वास्तविकता बन जाये। अगर आप किसी ज्यादा बड़ी चीज़ तक पहुँच बनाते हैं, जो ज्यादा सुख देने वाली और ज्यादा उत्तेजन देने वाली हो तो ये छोटी चीज़ अपने आप गायब हो जायेगी। आप इसे छोड़ नहीं देंगे, बस, अब आप ये काम नहीं करेंगे क्योंकि आप ने ख़ुद के लिये, कोई ज्यादा बड़ी चीज़ पा ली होगी।
आप के जीवन के कई पहलुओं के बारे में ये हुआ है। एक बच्चे के रूप में आप दुनिया को जैसे भी जानते, मानते थे वो सब छूट गया, क्योंकि जैसे जैसे आप बड़े हुए आप को ऐसा कुछ मिलता गया जो पहले से ज्यादा ऊँचा, ज्यादा बड़ा था। वही बात यहाँ भी लागू होती है। अगर आप को कुछ गहरी तीव्रता की चीज़ मिलती है, जो आप के लिये ज्यादा सुखदायक, ज्यादा उत्तेजक, ज्यादा उन्मादपूर्ण हो, तो ये चीजें भी छूट जायेंगी।
यौन संबंध आप का एक छोटा सा हिस्सा है। सिर्फ मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातों के कारण लोग यौन विषयों के बारे में ज्यादा आसक्त हो गये हैं, और फिर वे इसे बलपूर्वक छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। आप जिसे पुरुष या स्त्री कहते हैं, वो बस एक छोटा सा शारीरिक अंतर है, जिससे एक खास प्राकृतिक क्रिया पूर्ण हो सके। हमने एक शारिरिक हिस्से को इतना ज्यादा महत्व क्यों दिया है? शरीर का कोई भी हिस्सा इतना ज्यादा महत्व दिये जाने के योग्य नहीं है। अगर किसी हिस्से को इतना ज्यादा महत्व मिलना ही है, तो वो शायद मस्तिष्क है, प्रजनन अंग नहीं।
दुर्भाग्यवश, ये अब उल्टा हो गया है, उन मूर्खतापूर्ण शिक्षाओं के कारण, जो कहती हैं, "आप को शुद्ध होना चाहिये, आप को इसके बारे में नहीं सोचना चाहिये"। लोगों के दिमागों में यही बातें भर गयी हैं और उन्होंने सब गड़बड़ कर दिया है। यदि लोग जीवन को उस तरह से देखें जैसा वह है, तो यौन संबंधों की बातें अपने सही स्थान पर आ जायेंगी - और वह है आप के जीवन का एक छोटा सा हिस्सा - ये जीवन का कोई इतना बड़ा पहलू नहीं होता। और ये ऐसा ही होना चाहिये। ये सभी प्राणियों में इसी तरह से है। जानवर इसके बारे में हर समय नहीं सोचा करते। जब इस चीज़ का उनके लिये समय होता है, तभी वे उसमें होते हैं, अन्यथा वे हर समय नहीं सोचते कि कौन पुरुष है, कौन स्त्री है? ये सिर्फ मनुष्य है जो हर समय इसी में फंसा रहता है। वे एक क्षण के लिये भी इसे नहीं छोड़ पाते क्योंकि ये मूर्खतापूर्ण नैतिकता की बातें, जिनका जीवन से कुछ लेना देना नहीं है, उनमें घुस गयी हैं।
अगर वे जीवन को उसी तरह देखें जैसा वह है तो अधिकतर लोग बहुत कम समय में, इसमें से बाहर निकल जायेंगे। कई लोग बिना इसमें पड़े ही बाहर निकल सकते हैं। जीवन पर गलत ढंग का ध्यान होने से हर चीज़ विकृत हो गयी, और बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश हो रही है। बस यही बात है, अन्यथा आप देखेंगे कि लोगों का एक बहुत बड़ा भाग इन सब बातों में कोई रुचि ही नहीं लेगा, अथवा उनकी रुचि बहुत ही साधारण होगी। ये उतनी मूर्खतापूर्ण नहीं होगी, जितनी अभी है।
Editor’s Note: Sadhguru talks about Tantra and sexuality, demystifying common myths and misconceptions about this misunderstood topic.