हठ योग - योगासन और क्रिया में क्यों लगाए जाते हैं बंध?
हठ योग और क्रिया योग में कुछ ऐसे आसन और क्रियाएं होती हैं, जिनमें बंध लगाया जाता है। एक साधक ने सद्गुरु से बंध लगाने का महत्व जानना चाहा। जानते हैं सद्गुरु से।
पुरु : सद्गुरु, कुछ खास आसनों और क्रियाओं के अंत में जो ‘बंध’ किया जाता है, उसकी क्या अहमियत है?
योग के बंधों का लक्ष्य – ऊर्जा शरीर पर काबू पाना
सद्गुरु: जो बंध आप करते हैं, ये शुरुआती कदम हैं। बंध का मकसद धीरे-धीरे ऊर्जा पर काबू पाना और उसे मनचाहे ढंग से बंद करना है। प्रयोग के तौर पर आप अपने हाथ का इस्तेमाल करते हुए इसे आजमा सकते हैं।
Subscribe
शरीर, मन और ऊर्जा के तालमेल से तय होता है नींद का समय
योग का एक महत्वपूर्ण पहलू है, अपने ऊर्जा-शरीर यानी प्राणमयकोश और अपने मानसिक शरीर यानी मनोमयकोश पर उतना ही नियंत्रण पाना, जितना आपका अपने भौतिक शरीर यानी अन्नमयकोश पर है।
अगर आपका अन्नमयकोश, मनोमयकोश और प्राणमयकोश सही तालमेल में नहीं हैं, तो आपकी गतिविधियां सहज, सरल और आसानी से नहीं होंगी। मामूली चीजों को करने में भी काफी मेहनत लगेगी। आपको कितनी नींद की जरूरत है, यह इसी तालमेल से तय होता है। बिना बहुत शारीरिक मेहनत के भी अगर आपको आठ घंटे सोने की जरुरत पड़ती है तो इसका मतलब है कि तीनों शरीर सही तालमेल में नहीं हैं, उनमें घर्षण या टकराव है। आपके भीतर जो घर्षण या टकराव हुआ है, उसे ठीक करने के लिए आपको इतने आराम की जरूरत पड़ रही है। अगर ये तीनों पहलू पर्याप्त तालमेल में हैं तो शारीरिक तौर पर काफी सक्रिय रहने पर भी, आपको अधिक से अधिक चार-पांच घंटे की नींद की जरूरत होगी।
मन, ऊर्जा और शरीर के बीच टकराव कम करना जरुरी है
हम दुनिया में यही स्थिति लाना चाहते हैं, जहां इंसान अपनी चरम क्षमता में काम करे। किसी भी मशीन के काम करने की क्षमता मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करती है कि उसके भीतर घर्षण या टकराव का स्तर क्या है।
यह महत्वपूर्ण है क्योंकि योग का मतलब सिर्फ तैंतीस या चौरासी आसन सीखना नहीं है, यह जीवन की प्रक्रिया से जुड़ा है। आप इसे एक दिन में नहीं सीख सकते, न ही पांच महीने में सीख सकते हैं। आप पांच, पचास या पांच सौ जन्मों में भी पूरी तरह इसे नहीं जान सकते, यह इतना व्यापक है। आप इसे उसी सीमा तक जानते हैं, जितना जानना आपके लिए जरूरी है। फिलहाल, आप इन तीनों शरीरों के बीच के घर्षण या टकराव पर ध्यान दीजिए, जिसकी वजह से आप खुद एक समस्या बन जाते हैं। जब आप खुद एक समस्या होते हैं, तो बाहरी समस्याओं को संभालने की आपकी क्षमता कम हो जाती है। आपकी अपनी समस्या सबसे बड़ी होती है।
योग में आठ तरह के बंध होते हैं
तो अगर हम अपने उदाहरण पर वापस जाएं, तो बंध योग का वह आयाम है, जहां आखिरकार आप शरीर को शामिल किए बिना मुट्ठी बांधना सीखते हैं। शुरू में आप शरीर को शामिल करते हैं, मगर धीरे-धीरे आपको ऐसी स्थिति पर पहुंच जाना चाहिए जहां शरीर का इस्तेमाल किए बिना आप जहां चाहें वहां लॉक या बंध कर सकते हैं। लॉक आठ तरह के होते हैं, मगर आम तौर पर हम तीन ही सिखाते हैं क्योंकि अधिकांश लोगों के लिए तीन ही महत्वपूर्ण होते हैं। दूसरे पहलुओं में जाने से पहले आपको काफी अभ्यास की जरूरत होती है। अगर आपके ऊर्जा शरीर में पर्याप्त गति है, अगर वह काफी लचीला बन गया है, तभी आप सभी आठ तरह के लॉक या बंध काम में ला सकते हैं। इसके बाद आप ऐसी चीजें कर सकते हैं, जिनकी दूसरे लोग कल्पना भी नहीं कर सकते।