भस्म : कैसे और कहां लगायें?
सद्गुरु बता रहे हैं कि विभूति क्या है, उसे क्यों और कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और हमें उससे क्या -क्या फायदे हैं...
सद्गुरु बता रहे हैं कि भस्म क्या है, उसे क्यों और कैसे इस्तेमाल करना चाहिए और हमें उससे क्या-क्या फायदे हैं।
सद्गुरु: विभूति, भस्म या पवित्र राख के इस्तेमाल के कई पहलू हैं। पहली बात, वह ऊर्जा को किसी को देने या किसी तक पहुंचाने का एक बढ़िया माध्यम है। इसमें 'ऊर्जा-शरीर' को निर्देशित और नियंत्रित करने की क्षमता है। इसके अलावा, शरीर पर उसे लगाने का एक सांकेतिक महत्व भी है। वह लगातार हमें जीवन के नश्वरता की याद दिलाता रहता है, मानो आप हर समय अपने शरीर पर नश्वरता ओढ़े हुए हों।
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भस्म बनाने की विधि
आम तौर पर योगी श्मशान भूमि से उठाई गई राख का इस्तेमाल करते हैं। अगर इस भस्म का इस्तेमाल नहीं हो सकता, तो अगला विकल्प गाय का गोबर होता है। इसमें कुछ दूसरे पदार्थ भी इस्तेमाल किए जाते हैं लेकिन मूल सामग्री गाय का गोबर होती है। अगर यह भस्म भी इस्तेमाल नहीं की जा सकती, तो चावल की भूसी से भस्म तैयार की जाती है। यह इस बात का संकेत है कि शरीर मूल पदार्थ नहीं है, यह बस भूसी या बाहरी परत है।
भस्म लगाने के फायदे
आपके शरीर में, सात मूल केंद्र हैं जो जीवन का अनुभव करने के सात आयामों को दर्शाते हैं। इन केंद्रों को चक्र कहा जाता है। चक्र, ऊर्जा प्रणाली के भीतर एक खास मिलन बिंदु होते हैं। इन चक्रों की प्रकृति भौतिक नहीं, बल्कि सूक्ष्म होती है। आप इन चक्रों को अनुभव से जान सकते हैं, लेकिन अगर आप शरीर को काटकर देखें, तो आपको कोई चक्र नहीं दिखेगा। जब आप तीव्रता के उच्च स्तरों की ओर जाते हैं, तो स्वाभाविक रूप से ऊर्जा एक चक्र से दूसरे चक्र की ओर बढ़ती है। अगर आप नीचे स्थित चक्रों से जीवन को ग्रहण करते हैं तो जो आपका अनुभव होगा उसकी तुलना में तब आपके अनुभव और आपकी स्थिति बिल्कुल अलग होगी जब आप शरीर में ऊपर की ओर स्थित चक्रों से जीवन को ग्रहण करेंगे ।
भस्म कैसे लगायें?
पारंपरिक रूप से भस्म को अंगूठे और अनामिका के बीच लेकर - ढेर सारी विभूति उठाने की जरूरत नहीं है, बस ज़रा सा लगाना है - भौंहों के बीच, जिसे आज्ञा चक्र कहा जाता है, गले के गड्ढे में, जिसे विशुद्धि चक्र कहा जाता है और छाती के मध्य में, जिसे अनाहत चक्र के नाम से जाना जाता है, में लगाया जाता है। भारत में आम तौर पर माना जाता है कि आपको इन बिंदुओं पर विभूति जरूर लगानी चाहिए। इन खास बिंदुओं का जिक्र इसलिए किया गया है क्योंकि विभूति उन्हें अधिक संवेदनशील बनाती है।
- भस्म आम तौर पर अनाहत चक्र पर इसलिए लगाई जाती है ताकि आप जीवन को प्रेम के रूप में ग्रहण कर सकें।
- उसे विशुद्धि चक्र पर इसलिए लगाया जाता है ताकि आप जीवन को शक्ति के रूप में ग्रहण करें, शक्ति का मतलब सिर्फ शारीरिक या मानसिक शक्ति नहीं है, इंसान बहुत से रूपों में शक्तिशाली हो सकता है। इसका मकसद जीवन ऊर्जा को बहुत मजबूत और शक्तिशाली बनाना है ताकि सिर्फ आपकी मौजूदगी ही आपके आस-पास के जीवन पर असर डालने के लिए काफी हो, आपको बोलने या कुछ करने की जरूरत नहीं है, बस बैठने से ही आप अपने आस-पास की स्थिति को प्रभावित कर सकते हैं। एक इंसान के भीतर इस तरह की शक्ति विकसित की जा सकती है।
- विभूति को आज्ञा चक्र पर इसलिए लगाया जाता है, ताकि आप जीवन को ज्ञान के रूप में ग्रहण कर सकें।
यह बहुत गहरा विज्ञान है लेकिन आज उसके पीछे के विज्ञान को समझे बिना हम बस उसे एक लकीर की तरह माथे पर लगा लेते हैं। यह मूर्खता है कि एक तरह की लकीरों वाला व्यक्ति दूसरी तरह की लकीरों वाले व्यक्ति से खुद को अलग समझता है। भस्म शिव या किसी और भगवान की दी हुई चीज नहीं है। यह विश्वास का प्रश्न नहीं है। भारतीय संस्कृति में, उसे गहराई से किसी व्यक्ति के विकास के उपकरण के रूप में देखा गया है। सही तरीके से तैयार विभूति की एक अलग गूंज होती है। इसके पीछे के विज्ञान को पुनर्जीवित करने और उसका लाभ उठाने की जरूरत है।
संपादकीय टिप्पणी: ईशा शॉपी में उपलब्ध भस्म (विभूति) को बहुत सावधानी से तैयार किया गया है और अधिकतम लाभ के लिए उसे क्रिेयाशील किया गया है। उसे ईशा शॉपी से खरीदा जा सकता है।